प्रेमसागर पदयात्रा – भामोद से मामटोरी खुर्द

3-5 जुलाई 2023

लगभग एक सप्ताह होने को आया और यह ब्लॉग अपडेट नहीं हुआ। इसे ले कर मैं मायूस भी हूं और थका सा भी महसूस करता हूं। स्पॉण्डिलाईटिस उभरने के कारण चलने, बैठने, लेटने और करवट बदलने में कष्ट महसूस होता है। फिर भी अपने नित्य के कर्म अगर किये गये हैं – और किये ही गये हैं – तो लेखन को नित्य का कर्म न मानना क्या उचित है? यह प्रश्न उठता है। लेखन की गुणवत्ता पर न जाया जाये, लेखन खुद में नित्य कर्म होना चाहिये।

प्रेमसागर इस दौरान आगरा से डीग पंहुचे (जुलाई 3) वहां दो दिन रहना हुआ (जुलाई 3-4)। चार जुलाई की शाम उन्हें कैलाश यादव जी भामोद ले आये। कैलाश जी रामेश्वर जी के पुत्र हैं और भामोद में ही एक स्कूल चलाते हैं। जो चित्र प्रेमसागर ने भेजे, उनके अनुसार कैलाश जी का स्कूल एक हवेली नुमा पुराने घर में चलता है। कैलाश जी का ध्येय बालिकाओं के सशक्तीकरण का है। उनके स्कूल में अधिकांश बालिकायें हैं।

बालिकाओं पर ध्यान देना एक महत्वपूर्ण सामाजिक आवश्यकता है। प्रेमसागर ने मुझे बताया कि रात में कई लोग मिलने आये थे। उनसे बातचीत से पता चला कि राजस्थान के इस इलाके में बहुत सी शादियां उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की लड़कियों से हुई हैं।

अंतरराज्यीय शादियां वैसे तो भारत की राष्ट्रीय भावना के हिसाब से अच्छा ही है, पर ऐसा नहीं लगता कि इसमें राष्ट्रीयता का कोई रोल होगा। शायद राजस्थान में किसी दौर में व्यापक तौर पर अवैध भ्रूण परीक्षण करा कर कन्या भ्रूण हत्यायें हुई होंगी। समाज में लैंगिक असंतुलन एक कारण हो सकता है कि आठ सौ किमी दूर से बहुयें खोजी जा रही हैं। प्रेमसागर के कथन का परीक्षण इस कोण से किया जा सकता है।

कैलाश यादव जी

कैलाश जी व्यस्तता के बावजूद प्रेमसागर को डीग में लेने आये। वे उन्हें अपने से भामोद आने की कह सकते थे। रामेश्वर जी के परिवार ने प्रेमसागर को बहुत सम्मान-भाव दिया है – यह तो लगता ही है। उन्होने प्रेमसागर को खुद बुला कर घर में रखा, उनकी अस्वस्थता में उनकी सहायता की और अब दूसरी बार भी उन्हें आदर दिया। पदयात्रा में इस तरह का भाव मिलना हुआ तो है, पर कम ही हुआ है। प्रेमसागर की बातों से लगता है कि वे प्रसन्न थे।

चार जुलाई की शाम को प्रेमसागर के रहने का इंतजाम कैलाश यादव जी के स्कूल में हुआ। स्कूल में दो कमरे इस ध्येय के लिये रखे गये हैं। रात भोजन तो रामेश्वर/कैलाश जी के घर से ही था।

अगले दिन, पांच जुलाई को प्रेमसागर भामोद से रवाना हो कर मामटोरी खुर्द, नवलपुरा तक पंहुचे। छब्बीस किलोमीटर की यात्रा। “पहाड़ी इलाका था भईया। बारिश होती थी, पर रुक जाने पर गर्मी और उमस भी बहुत होती थी। पत्थल गरम जल्दी हो जाता है। दिन में एक जियो का सेण्टर मिला। मैं उसमें चला गया। बोला कि मेरा मोबाइल चोरी चला गया है। उसका दूसरा सिम लेना है। उन लोगों ने बताया कि 150 रुपया सिम का और 240 रुपया रीचार्ज का लगेगा। जब मैंने प्रूफ देने के लिये ब्लॉग खोल कर यात्रा विवरण दिखाया तो उन लोगों ने मेरी यात्रा के बारे में और भी पढ़ा। यह जान कर कि मैं ज्योतिर्लिंग पदयात्रा भी कर चुका हूं, उन लोगों ने सिम और उसका रीचार्ज का कोई पैसा नहीं लिया।” – प्रेमसागर ने दिन भर का विवरण देते हुये मुझे बताया।

प्रेमसागर को सिम भी मिला और रीचार्ज भी! कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी।

इस डियाक (डिजिटल यात्रा कथा) वाले ब्लॉग का प्रेमसागर मल्टीपरपज उपयोग करते हैं। उनके जेन्युइन यात्री होने का प्रमाण देने में इसका उपयोग होता है। इसके अलावा उनका वैशिष्ठ्य भी इससे स्थापित होता है। बहुत जगहों पर उन्हें सहजता से रहने और भोजन की सुविधा मिल जाती है। कई जगह उन्हें रियायती दर पर सुविधायें मिल जाती हैं। जब मैंने ब्लॉग लेखन प्रारम्भ किया था तो मेरा ध्यान इस पक्ष पर नहीं था। पर उत्तरोत्तर इससे प्रेमसागर की पदयात्रा में सुगमता बढ़ी है। मुख्य बात है कि प्रेमसागर डियाक का सही उपयोग कर पा रहे हैं। अगर अंतरजाल पर यह लेखन न होता तो एक महात्मा पदयात्री के रूप में उन्हें अपने वाकचातुर्य पर ज्यादा निर्भर होना पड़ता।

“घाटी बहुत ऊंची नीची है भईया। करीब साठ डिग्री की चढ़ाई मिली। वहां से गुजरते हुये लगा कि जैसे उत्तराखण्ड या अमरकण्टक की चढ़ाई से गुजर रहा होऊं।”

चित्रों का स्लाइड शो।

“खेती देखी भईया। मूंगफली, ग्वारफली, फूलगोभी, बाजरा और मिर्च उगाते दिखे किसान। एक जगह अरौंजी का झाड़ का चित्र लिया। इसकी खासियत यह है कि जब यह हरी भरी होती है तो इसे चबा कर बकरी खूब दूध देती है। पर अगर सूखी जाली अरौंजी खा ले तो बकरी मर जाती है। एक जगह बड़ा बिच्छू दिखा। लोग बताये कि इसके डंक से आदमी मर जाता है। पांच मिनट में ही जान चली जाती है। इससे बचने के लिये लोग अपने घर की बाउण्ड्री के नीचे बिजली का करेण्ट देते हैं। उससे यह बिच्छू मरता तो नहीं पर दूर भाग जाता है। सांप भी हैं जहरीले यहां पर। लोग उन्हें मार देते हैं। … जमीन यहां बहुत सस्ता है भईया। पंद्रह-बीस हजार रुपया बीघा। वह भी सड़क के किनारे की जमीन। पानी ज्यादा होता तो खेती ज्यादा होती और जमीन के दाम भी ज्यादा होते।”

प्रेम सागर का यूपीआई एड्रेस
प्रेमसागर की पदयात्रा हेतु अगर आप कुछ सहयोग करना चाहें तो निम्न यूपीआई पते पर कर सकते हैं –
Prem12Shiv@SBI
प्रेमसागर के सहयोग हेतु यूपीआई

मामटोरी घाटी का प्रभाव था। पच्चीस-छब्बीस किमी की यात्रा में भिन्न भिन्न अनुभव हुये प्रेमसागर को। उन सब को वे बताते जा रहे थे। उनकी बातचीत अगर मैंने रिकार्ड न की होती तो यह पोस्ट लिख ही न पाता। अपनी अस्वस्थता में मैंने उन्हें हूं-हां कहते हुये ही सुना था।

कमलेश शर्मा जी के साथ प्रेमसागर। साथ में सम्भवत: शर्मा जी का बेटा है।

मामटोरी खुर्द में उन्हें कमलेश शर्मा जी मिले। उन्होने रात वहीं विश्राम का आग्रह किया। “शाम छ बजे पंहुच गया था भईया। फिर सतसंग चला। भोजन भी कराया शर्मा जी ने – रोटी दाल और चीर (आम) की खट्ट्मिट्ठ चटनी/सब्जी। घर में उनके पिताजी भी थे। उनके दो बेटा हैं। एक विदेश रहता है।”

मामटोरी घाटी में शर्मा जी का घर।

प्रेमसागर यात्रा विवरण देने में बहुत गहराई नहीं दे पाते। मसलन एक दिन आतिथ्य सत्कार करने वाले शर्मा जी का पूरा परिचय नहीं है। उनसे मिलना किस निमित्त से हुआ, वह भी स्पष्ट नहीं है। इस दिन की यात्रा के मुख्य व्यक्ति शर्मा जी हैं। उन्हीं के बारे में जानकारी अत्यल्प है। यात्रा कथा के लिये, पदयात्री को जहां भाव मिले वहां भाव में बहना नहीं चाहिये। भाव देने वाले के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करनी चाहिये। … खैर इस डियाक को ले कर मेरा असंतुष्ट भाव कोई नया नहीं है। अगर कोई और समय होता तो मैं इण्टरनेट, विकिपेडिया, पुस्तकें आदि छान कर कुछ इनपुट देने का प्रयास करता। पर अभी मेरा सिर का भारीपन और स्पॉण्डिलाइटिस के कारण एकाग्रता में कमी से वह सम्भव नहीं है।

मैं प्रेमसागर की दी जानकारी पर ही शुरू और समाप्त करता हूं यह पोस्ट।

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:।

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
*****
प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

2 thoughts on “प्रेमसागर पदयात्रा – भामोद से मामटोरी खुर्द

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started