अपने परिचय के लिये प्रेमसागर ने ब्लॉग खोला। और उसमें से भरभरा कर सैकड़ों ज्योतिर्लिंग तथा शक्तिपीठ पदयात्रा की पोस्टें निकल पड़ीं तो प्रेमसागर का दर्जा आम साधू से बढ़ कर महात्मा का हो गया। उसके बाद उनका पर्याप्त आदर सत्कार हुआ।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
अपने परिचय के लिये प्रेमसागर ने ब्लॉग खोला। और उसमें से भरभरा कर सैकड़ों ज्योतिर्लिंग तथा शक्तिपीठ पदयात्रा की पोस्टें निकल पड़ीं तो प्रेमसागर का दर्जा आम साधू से बढ़ कर महात्मा का हो गया। उसके बाद उनका पर्याप्त आदर सत्कार हुआ।