19 जुलाई 2023
छिवलहा से आगे रास्ता यमुना के समीप से मऊ होते हुये जाता है। यमुना का जिक्र प्रेमसागर ने नहीं किया, सो लगता है मऊ में वे रास्ते पर ही चलते चले। गूगल नक्शे के हिसाब से दिन भर में करीब उनतीस किमी चलना हुआ। गर्मी, धूप और ऊंचे नीचे रास्ते के कारण थकान भी लगी होगी। दिन भर कोई सम्पर्क नहीं हुआ।
छिवलहा के जयदेव मास्टर जी ने न केवल छिवलहा में उनके रुकने की व्यवस्था की, अगले पड़ाव राम कोल के लिये भी इंतजाम किया। राम कोल के ठाकुर अनिरुद्ध सिंह जी को उन्होने प्रेमसागर को रहने खाने का इंतजाम करने के लिये सहेजा। अनिरुद्ध जी तो रास्ते में कुछ दूर पहले ही मिले प्रेमसागर को। उनका नया घर बन रहा है। छत की ढलैया हो रही है। वे अभी पुराने घर में रहते हैं।

रास्ते में एक बस से दो लोग प्रेमसागर के लिये केले और सेब ले कर उतरे। उन्होने बताया कि फल जयदेव मास्टर जी ने भेजे हैं। मास्टर जी ने न केवल छिवलिया में उनके रहने का इंतजाम किया, आगे भी उनका कुशल क्षेम देख रहे हैं। उनके जैसे लोग कम ही होते हैं।

मार्ग में एक साठ पार की महिला मिली। उसका भोजन घर से आने वाला था, पर उसे भूख तेज लगी थी। उसने प्रेमसागर से कुछ मांगा। प्रेमसागर ने अपने पास से केले निकाल कर उन्हें दिये। छुधा शांत होने पर बहुत प्रसन्न हुई वह महिला। प्रेमसागर के बारे में जान कर आशीष देते हुये बोली – अगले जनम में जरूर राजा बनोगे।
केले जयदेव तिवारी जी ने भेजे। महिला को प्रेमसागर ने दिये। उनकी क्षुधा मिटने पर अगले जनम में राजा बनने का आशीर्वाद पाया। राजा कौन बनेगा? प्रेमसागर या जयदेव मास्टर? पूरी कड़ी में दोनो ही महत्वपूर्ण हैं। शायद दोनो ही राजा बनेंगे।

पर अगला जन्म? प्रेमसागर तो यात्रा करने की कवायद तो शायद मोक्ष पाने के लिये कर रहे हों। इससे पहले ज्योतिर्लिंग पदयात्रा के समय एक वृद्धा ने प्रेमसागर को आशीर्वाद दिया था कि पदयात्रा से उनकी पहले और बाद की चौदह पीढ़ियाँ तर जायेंगी। तर जाने का अर्थ मोक्ष पाना ही तो होता है?! प्रेमसागर के लिये तो लगभग निश्चितता है कि वे पुनर्जन्म के चक्कर से निकल लेंगे!

राम कोल उस मार्ग पर है जिसपर राम वन गमन के समय गुजरे थे। यहीं पास में वह स्थान है जहां सीता जी ने स्नान किया था और राम-लक्ष्मण-सीता जी ने रात्रि विश्राम किया था। प्रेमसागर का मन ललक रहा है कि एक दिन रुक कर वे स्थान देखे जायें। भारत का कोई भी व्यक्ति घर से निकलता है तो राम कथा से जुड़े स्थल आकर्षित करते ही हैं! हो सकता है शक्तिपीठ पदयात्रा सम्पन्न करने के बाद नया प्रॉजेक्ट प्रेमसागर राम के वन गमन मार्ग पर चलने का लेंगे। अयोध्या से सेतुसमुद्रम तक की यात्रा। उस पथ पर यात्रा की पुस्तक तो है – In the footsteps of Rama. पर वह पदयात्रा नहीं है। पदयात्रा प्रेमसागर के जिम्मे! :lol:
आज प्रेमसागर ने खांची भर चित्र नहीं ठेले। पर जरूरत से कुछ कम ही भेजे। एक चित्र चायवाले सज्जन का है। लगता है प्रेमसागर से अभिभूत हैंं चाय वाले। चित्र क्लिक करते समय हाथ जोड़े हुये हैं। इस पदयात्रा में चाय पिलाने पर उनका भी भला हो। अगले जनम में वे चाय की चट्टी की बजाय एक रेस्तराँ के मालिक तो जरूर बनें!

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:! जै सियाराम!
| प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
| दिन – 103 कुल किलोमीटर – 3121 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल। |
