यही आशा की जाती है कि आगे कोई विधर्मी बच्चे प्रेमसागर से न डरें और डरें भी तो उनके माई-बाप उसे ले कर धार्मिक वैमनस्य न बोयें। इस देश में सब भय से मुक्त रहें और निर्बाध आ जा सकें। सड़क किसी के बाप की न हो!
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साम्भर झील के किनारे किनारे
साम्भर झील किनारे एक गड़रिया के चित्र भेजे प्रेमसागर ने। उनका साफा केसरिया रंग का है, शानदार! प्रेमसागर ने बताया कि वृद्ध लोग सफेद साफा बांधते हैं। जवान रंगीन। ये सज्जन तो अधेड़ लगते हैं। पर अभी भी अपने को जवान समझते हैं।
प्रेमसागर – चौमू से फुलेरा
मौसम, कच्चा रास्ता, बारिश, ठिकाने की तलाश … उनकी बातें सुन कर लगता है कि यात्रा में उन्हें सामान्य से ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ रही है। पर उनके संकल्प में कमी नहीं है। मुझे अच्छी लग रही है उनके इस चरण की यात्रा।
