प्रेमसागर – चौमू से फुलेरा


मौसम, कच्चा रास्ता, बारिश, ठिकाने की तलाश … उनकी बातें सुन कर लगता है कि यात्रा में उन्हें सामान्य से ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ रही है। पर उनके संकल्प में कमी नहीं है। मुझे अच्छी लग रही है उनके इस चरण की यात्रा।

चौमू


प्रेमसागर, बारिश का मौसम और बारिश रुकने पर उमस के कारण ज्यादा दूरी नहीं तय कर पा रहे। यह भी सम्भव है कि उनके पास पैसे की कमी है और रुकने के स्थान के बारे में वे ज्यादा उन्मुक्त भाव से नहीं चल पा रहे।

प्रेमसागर पदयात्रा – भामोद से मामटोरी खुर्द


मामटोरी घाटी का प्रभाव था। पच्चीस-छब्बीस किमी की यात्रा में भिन्न भिन्न अनुभव हुये प्रेमसागर को। उन सब को वे बताते जा रहे थे। उनकी बातचीत अगर मैंने रिकार्ड न की होती तो यह पोस्ट लिख ही न पाता।

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