कुल दो साल से ज्यादा हो गये मानसिक हलचल लिखते। कुल ६०० से ऊपर पोस्टें हो गयीं। पहले साल में ३५० से ज्यादा पोस्टें थीं। दूसरे साल में २५०। आवृति में कमी हुई। कुछ यह मेरी बदली पोस्ट की आवश्यकताओं से धीमी पड़ी। और कुछ जबरन लिखने की खुरक कम होने से बनी। लेकिन दोनो ही साल बराबर के संतोष और असंतोष के रहे!
लगता है कि रफ्तार और धीमी होगी। इस तीसरे साल में मैं १६०-१७० पोस्टें लिख पाऊं तो एक उपलब्धि होगी। मानसिक हलचल में कुंदत्व की वृद्धि के कारण नहीं, समय की कमी के कारण कम सक्रिय होना शायद ज्यादा उपयुक्त कारण है। लेकिन ब्लॉग की नियमितता (वह जैसी भी हो) जारी रख लेना भी शायद एक सार्थकता है। दूसरे साल में ब्लॉग की पहचान प्रसारित होने और फीडबैक/टिप्पणियां पाने में ज्यादा सफलता मिली है। निरन्तरता रख कर अपने ब्लॉग को सार्थक बनाये रखने में ही ऊर्जा लगनी है। अन्यथा धूमकेतु की तरह आने-चमकने और चले जाने वाले अनेक हैं। और धूमकेतु की तरह वे वापस आयेंगे।
पोस्टों में विविध विषयों की भरमार और विशेषज्ञता का अभाव मेरे ब्लॉग पर शुरू से रहा है। मैं अपने कार्यक्षेत्र (रेलवे) पर ही शायद कुछ विशेषज्ञता से लिख पाऊं, पर वह सरकारी नौकरी की अनिवार्यताओं के चलते बहुत सम्भव नहीं है। इस क्षेत्र से मैं बचता रहा हूं, और बचता रहूंगा। उससे मुझे पहचान का कुछ नुक्सान भले हो, पर जो है – सो है!
बस हो गये हैं दो साल! और वह भी ऐसे समय जब मेरी अन्य जिम्मेदारियां ब्लॉगिंग से उत्तरोत्तर दूर रख रही हैं। अपनी मानसिक हलचल को पोस्ट के रूप में परिणत नहीं कर पा रहा हूं।
पिछले साल श्री पंकज अवधिया ने एक पोस्ट गर्मियों की तैयारी के बारे में लिखी थी। मेरे विचार से इस वर्ष गर्मियों के पहले उस तरह की तैयारी का समय आ गया है। आप पोस्ट का अवलोकन कर सकते हैं:

दो वर्ष पूरे करने पर बधाई। जिस प्रकार जिव्हा अभीव्यक्ति के काम आती है उसी प्रकार ब्लॉग भी अभिव्यक्ति का एक माध्यम है, बहाव जारी रहे यह आवश्यक है! :)
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गुरुदेव, सादर प्रणाम।इतना सब कुछ सिर्फ़ दो साल में हो गया? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है। बाप रे बाप… छः सौ पोस्टें लिखने में तो मुझे कम से कम छः साल लगेंगे। ऐसी अनूठी पोस्टें तो नहीं ही बन पाएंगी।इतने कम समय में इतना ऊँचा मुकाम हासिल करने पर हमारी हृदय से बधाई स्वीकार करें।
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ग्याण जी बहुत बहुत बधाई हो, दो साल पुरे करने के लिये, आप युही लिखते रहे अच्छे लेख, कल तो एक दम से शान्ति थी, पता नही क्यो, ओर आप के लेख से पता चलता था १८ घ्ण्टे हो गये पव्लिस किये, क्योकि मै तो हमेशा अन्तिम ही होता हुं, धन्यवाद
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ब्लॉग के २ साल पूरे होने पर बधाई स्वीकार करें.नए ब्लॉगरों के लिए आप हमेशा एक प्रेरणास्रोत रहे है. इश्वर करे आप और अधिक ऊर्जा से लिखते रहें. शुभकामनाएं
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एक और पड़ाव की आपको बधाई।आपके विविध विषय ही आपके ब्लॉग को संपूर्ण ब्लॉग बनाते है।शुभकामनायें।
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आप तो बहुत आगे हैं. मैं अगर १२ पोस्ट भी लिख लूं साल में तो चमत्कार होगा.
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आपने जो कुछ लिखा है वह कुछ कम महत्वपूर्ण नहीं है. अलबत्ता सच तो यह है कि ब्लॉगिंग का वास्तविक स्वरूप वही है. बाक़ी ब्लॉगिंग में अपने हुनर के प्रदर्शन का जो मामला आ गया, वह तो भारत की जुगाडं परम्परा की देन है. ब्लॉग जगत में आपकी जो पहचान है वह कम लोगों को ही मिलती है. बधाई और शुभकामनाएं.
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दो साल या ६०० पोस्ट आपके लिए कोई उपलब्धी नहीं लेकिन हम लोगो के लिए प्रेरणा श्रोत है . निरन्तरता ,समय्बध्त्ता ,विषय ,रोचकता मानसिक हलचल के अचूक तीर है जो आपको नम्बर एक बनाये रखे है .
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दो साल में घणा लिख डाला जी। जे हाल तो तब है, जब आप खुद को लेखक ना मानो। गर लेखक ही मान ल्ल्लेते तो फिर तो घणी मार मचा देते। लिखे जाइए, लिखे जाइये, पढ़ने वाले हैं जी। जमाये रहिये। सरजी हम तो दो पर बधाई ना देने का, आप सचिन तेंदुलकर की कोटि वाले ब्लागर हैं, सचिन को एकाध शतक पर बधाई देना चिरकुटई है। हम सिर्फ शुभकामनाएं दे रे हैं जी।
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बहुत बधाई.. दो साल लगातार लिखना वाकई परिश्रम का काम है.. बहुत शुभकामनाऐं..
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