एक साध मन में जरूर जिंदा रही कि अवधी में, आपन बोली में पांच सात मिनिट बोलि सकी। बकिया, हमार पत्नी जी ई परयोग के बहुतइ खिलाफ हइन। ओनकर बिस्वास बा कि हमार अवधी कौनौं लाया नाहीं बा।
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पॉडकास्ट गढ़ते तीन तालिये
उन लोगों के कहे में वह ही नहीं होता जो आप सोचते हैं। पर उससे कहीं बेहतर होता है, जो आप सोचते हैं। यही मजा है तीन ताल पॉडकास्ट का। मैं अनुशंसा करूंगा कि आप इस सीरीज के सभी पॉडकास्टों का श्रवण करें, करते रहें। इसका नया अंक आपको शनिवार देर रात तक उपलब्ध होता है।
अपने ब्लॉग, मानसिक हलचल, पर सोच विचार
वैसे मैं ब्लॉग पर ट्रैफिक के आंकड़े देखता हूं तो पाता हूँ कि हिन्दी ब्लॉगिंग के स्वर्णिम (?) काल की बजाय आज उसपर आने वालों की संख्या दैनिक आधार पर तिगुनी है. लोग टिप्पणियाँ नहीं (या बहुत कम) कर रहे हैं, पर पढ़ने वाले पहले से ज्यादा हैं.
चिन्ना पांड़े, लॉयन और मटर पनीर
बेचारा वेजीटेरियन लॉयन। अब बाभन के घर की कहानी का पात्र है तो वेजीटेरियन ही तो होगा!
सिनेमा संगीत का विस्तृत शास्त्रीय अध्ययन – श्री कन्हैयालाल पाण्डेय
श्री कन्हैयालाल पाण्डेय। वे कुछ समय पहले तक रेलवे मेँ अतिरिक्त सदस्य (वाणिज्य) थे। अब रेलवे से सेवा निवृति ले कर यहां गोरखपुर में रेल दावा ट्रिब्यूनल में सदस्य (तकनीकी) बने हैं। कल वे मेरे चेम्बर में पधारे। उनकी ख्याति जितनी रेलवे में है, उससे कहीं ज्यादा फिल्म संगीत के अध्ययन के क्षेत्र में है।Continue reading “सिनेमा संगीत का विस्तृत शास्त्रीय अध्ययन – श्री कन्हैयालाल पाण्डेय”
एक विभागीय हिन्दी पत्रिका से अपेक्षा
कुछ दिन पहले यहां पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय में राजभाषा की त्रैमासिक बैठक हुई। बैठक में सामान्य आंकड़ेबाजी/आंकड़े-की-बाजीगरी के अलावा वाणिज्य विभाग के हिन्दी कार्यों की प्रदर्शनी थी। महाप्रबन्धक महोदय ने उसका निरीक्षण किया और ईनाम-ऊनाम भी दिया। रूटीन कार्य। हिन्दी की बैठकें रूटीनेत्तर कम ही होती हैं। एक बात हुई। महाप्रबन्धक महोदय ने हिन्दी पत्रिकाContinue reading “एक विभागीय हिन्दी पत्रिका से अपेक्षा”