हौलट!


ब्लॉगिंग एक समग्र काम है। इस रचनात्मकता में लेखन एक पार्ट है। अच्छा लेखन अच्छी पोस्ट का बेस बनाता है। पर अच्छा ब्लॉग केवल अच्छे लेखन से बनता होता तो यह स्पेस सारे लेखक-कवि-पत्रकार विधा के लोग कॉर्नर कर गये होते! वैसा है नहीं।  GDPandey

एक अच्छा ब्लॉगर होने के लिये एक अच्छा हौलट होना जरूरी शर्त है। अगर हौलटीय न हों तो ब्लॉगरी काहे की करें?

और लेखक-कवि-पत्रकार अगर कुशल ब्लॉगर हैं तो अपने कुशल लेखन-कवित्व-पत्रकारत्व के बल पर नहीं, अन्य गुणों के बल पर हैं। यह जरूर है कि यह कौन से गुण हैं; उन पर बहस हो सकती है। पर उनमें किसी प्रकार का वैशिष्ठ्य और सम्प्रेषण की क्षमता अनिवार्य अंग होंगे। मात्र लेखन अपने आप में – ओह, आई हूट केयर फॉर प्योर लेखन।

पर यह शीर्षक में “हौलट” क्या है?

असल में हौलट एक मजेदार शब्द है। यह शब्द मेरे सह अधिकारी ने बड़ी स्पॉण्टेनियस तरीके से व्यक्त किया। मेरी पत्नी इसके समकक्ष शब्द बतातीं हैं – बकलोल। हमारे मुख्य गाड़ी नियंत्रक समानार्थक शब्द बताते हैं – अधकपारी (आधे दिमाग वाला)। मेरे विचार से एक अच्छा ब्लॉगर होने के लिये एक अच्छा हौलट होना जरूरी शर्त है। अगर हौलटीय न हों तो ब्लॉगरी काहे की करें? अपने पाण्डित्य की? चने के ठोंगे बराबर भी कीमत नहीं है उसकी।

देखिये साहब, अगर आप विद्वान टाइप हैं तो १०९९ रुपये के हार्डबाउण्ड छाप ४५० पेज की किताब लिखिये। उसको ब्लॉग से बैक-अप कर सकते हैं। किताब का सत्त निकाल लें तो २५० रुपये का पेपरबैक भी अच्छे पैसे दे देगा। अगर आप विद्वान टाइप नहीं हैं तो हौलट बनिये। एक ब्लॉग चलाइये। प्योर ब्लॉग एक हौलट ही चला सकता है। ब्लॉग चलाइये और एडसेंस के स्वप्न देखिये। हौलट; यस! हूट केयर फॉर प्योर लेखन!@


@- अगर आप वास्तव में विद्वान और सफल ब्लॉगर हैं, तो आप टिप्पणी-कोसन कर सकते हैं। वैसी टिप्पणियां अगर ज्यादा हुईं तो मैं अपना मत बदल कर विद्वतोपार्जन में सन्नध हो जाऊंगा!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

32 thoughts on “हौलट!

  1. अपुन तो हौलट ही सही,मगर आपको तो ऐसा नही कह सकते।फ़िर भी होली का माहौल है इस्लिये हिम्मत कर रहा हूं।हमे तो लूट लिया इलाहाबाद के हौलट ने,………………बुरा न मानो होली है।

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  2. “हौले हौले से हौलट बनते हैँ हौले हौले से नेट -नट बनते हैँ हाँ ” नई नई बातोँ से ही सिलसिला आगे बढता हैऔर वह भी, हौले से ..श्रम साध्य काम है जी :)- लावण्या

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  3. प्योर लेखन तो नहीं चलेगा, यू हैव टू बिकम ए हौलट चिट्ठाकार अगेन्स्ट दूसरा।ਓਏ ਮੈਂ ਝੂਠ ਬੋਲੇਯਾ?वैसे ऊ शब्द का मीनिंग देख मूँ में पानी आ ग्या :-)

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  4. तरुण एक दूसरे दृष्टि से सही हैं -अधकपारी दरअसल सिरदर्द की कुख्यात बीमारी माईग्रेन का देशी नाम हैं -अतः यह बकलोल की जगह इस्तेमाल नहीं हो सकता ! क्योंकि बकलोल तो की जगह कोई ले नही सकता -हाँ हौलट चल जायेगा ! अधकपारी के बजाय यहाँ भी हाफ माईंड बोलने का चलन है ! बाकी आपसे सहमत !

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  5. बताओ भला क्या जमाना आ गया है ब्लागिंग में!शुद्ध ब्लागर कहलाने के लिये आदमी को हौलट बनना पड़ेगा पहिले! हम तो ऐसे ही भले! हमें न बनना प्योर ब्लागर!

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  6. आप प्योर ब्लॉग चला रहे है इसलिये आपके विषय में हौलट वाली अवधारणा बना लूँ-ये मुझसे न हो पायेगा. आप नाम और काम दोनों से ज्ञानी हैं, भला बकलोल और अधकपारी कोई कैसे कहने की जुर्रत कर सकता है-कम से कम मैं तो नही.:)शुभकामनाऐं इस प्योर ब्लॉग लेखन को सतत जारी रखने के लिए.

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  7. @ तरुण – “अधकपारी” अधकपाली ही है। अवधी-भोजपुरी देशज प्रयोग में “कपार” कपाल ही होता है। मसलन कोई बहुत बक बक करने लगे तो कहा जाता है – बहुत कपार खा रहे हो!

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  8. naya shabd pata chala – haulatlekin mujhe lagta hai woh dusra wala shabd “AdhKapali” hona chaiye na ki “adhkapaRi”. Kyonki sir ya khopri ko “kapal” kehte hain na ki “kapar”.baaki baat aapne haulat ki chalayi hai to uske liye koi bhi chalega ;)

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