गर आतिश-ए-दोज़ख बर रू-ए-जमीं अस्त।
हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त!
यह पूरी पोस्ट चुरातत्वीय है। मेरा योगदान केवल भावना अभिव्यक्ति का है। आतिश-ए-दोज़ख से (मैं समझता हूं) अर्थ होता है नर्क की आग। बाकी मीन-मेख-मतलब आप निकालें।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
गर आतिश-ए-दोज़ख बर रू-ए-जमीं अस्त।
हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्त!
यह पूरी पोस्ट चुरातत्वीय है। मेरा योगदान केवल भावना अभिव्यक्ति का है। आतिश-ए-दोज़ख से (मैं समझता हूं) अर्थ होता है नर्क की आग। बाकी मीन-मेख-मतलब आप निकालें।
apki post ki charcha sirf mere blaag meसमयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : जो पैरो में पहिनने की चीज थी अब आन बान और शान की प्रतीक मानी जाने लगी है
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हूँ !
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बहुत दर्द नाक हालात हैं. और दुख की बात है कि वहां कोई कुछ नही कर सकता. बहुत जघन्य और दिल को हिला दिया इस घटना ने.रामराम.
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सनाख्वाने-तक़दीज़े-मशरिख कहाँ है?जिन्हें नाज़ है मानवाधिकार पर वो कहाँ है?????
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कभी जन्नत को भी रश्क़ होगा इस सरज़मीन से. अब तो दोज़ख़ के शर्माने के ज़माने हैं.. ख़ुदा के नाम पे जो पाकीज़गी की जा रही है …. उन के ख़ुदा की तो क्या कहें .. हम जैसे कुछ इंसान ही शर्मसार हो लिया करें …..
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हे भगवान !
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आपकी भावना मे हम जैसे सैकड़ों-लाखो लोगो की भावनाएं छिपी हुई है।
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She was flogged cause she was found with a guy who was not her husband. But I think that girl was very lucky cause flogging is very ‘soft’ pusnishment in ‘Shariyat’. I have seen cutting of hands or stoning scenes on net.
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जिन हाथों ने काडे फटकारे है उन्ही हाथों में पाकी परमाणू बम होगा. आगे स्थिति भयानक है. इसलिए भारत को मजबूत सरकार चाहिए, न की मौका परस्तों की.
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पता नहीं ये लोग फिर से इंसान बाण पाएंगे या नहीं.. पर भविष्य के गर्भ में बहुत कुछ छिपा है.. हमारे समाज में भी पहले स्त्रियों के लिए सटी प्रथा थी.. विधवाओ के लिए अलग नियम थे.. वक़्त बदलता है.. वहा थोडी देर से बदलेगा.. पर बदलेगा..
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