निरापद लेखन


ट्यूबलाइटीय रेवलेशन:

हिंसक प्रजातियों की बजाय सांप, शेर, कुकुर और बिलार पर लिखना निरापद है और उसमें भी पर्याप्त बौद्धिकता ठेली जा सकती है।

तदानुसार लेखन:

Kabir हजारीप्रसाद द्विवेदी की कबीर पर लिखी पुस्तक ढूंढी जा रही थी। काफी ढूंढने पर पता चला कि गोलू पांड़े एक कोने में बैठे उसका अध्ययन कर रहे हैं। आधे से ज्यादा पढ़ कर आत्मसात कर चुके हैं। जो हिस्सा बचा है उसकी एण्टीक वैल्यू भर है।

गोलू पांड़े को निकट उपलब्ध चप्पल से बल भर पीटा गया। घर में कोई गंड़ासा या बड़ा चाकू नहीं है, अन्यथा उन्हें स्वर्ग पंहुचा दिया जाता। अब चूंकि वे जिन्दा हैं, भय है कि ह्यूमन/एनीमल राइट एक्टिविस्ट सक्रिय न हो जायें। golu newमाननीय अजमल अमीर कसाब कसाई जी के विद्वान वकील ने उन्हें महाकवि वाल्मीकि से तुलनीय (यह लिंक पीडीएफ फाइल का है) बता दिया था। उस आधार पर यह सम्भावना व्यक्त की है कि कसाब रत्नाकर की तरह सुधर कर परिवर्तित हो महाकाव्य लिख सकते हैं। अब गोलू पांड़े कहीं कबीरदास जी की तरह उलटबांसियां न कहने लगें।

खैर, गोलू पांड़े को पीटा मैने नहीं, पत्नीजी ने है (लिहाजा मुकदमा हो तो वे झेलें)। उसके बाद गोलूजी को ब्रेड-दूध का नाश्ता भी मिला है। उसे उन्होने अस्वीकार नहीं किया। अब वे आराम फरमा रहे हैं। उनके हाव भाव से लगता है कि अब भी वे कोई महत्वपूर्ण ग्रन्थ पढ़ सकते हैं।

गोलू पांड़े की अध्ययनशीलता और जिज्ञासा को सलाम!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

37 thoughts on “निरापद लेखन

  1. बेचारे गोलू पांडे जी :*(बड़ा दुःख हुआ उनकी पिटाई के बारे में जानकार. हम तो उनके साथ हैं, कब कौन कुत्ता बोधिसत्व बन जाये! यह तो पूर्व जन्म के संस्कार हैं जो आपका घर मिला उन्हें, वर्ना कहीं कचरे में बैठे होते.

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  2. बड़ी सही इंटेलेक्चुअल ट्रेनिंग मिल रही है गोलू पांडे को. पुस्तक-भोज ऐसा ही चलता रहा तो या तो भक्त कवि हो जायेंगे या फिर हिन्दी में पी एच डी.

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  3. आदरणीय पांडेय जी ,बेकार ही गोलू को पिटवा दिया आपने ..उसको सर्व शिक्षा अभियान के हेडक्वार्टर भिजवा देते …अगले दिन अखबार में उसका फोटो भी कुछ प्रसन्न मुद्रा में बैठे अधिकारीयों के साथ छप जाती …टी .वी पर कवरेज भी हो जाता सो अलग …हेमंत कुमार

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  4. गोलू को नाहक प्रताणित किया गया है। अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य पर हुए विधिक व्याघात से चिन्तातुर मुखाकृति देख वह समाधान ढूंढ़ रहा था। अब उसे क्या मालूम कि वह कौन सी किताब है?

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  5. हर किसी के किताब पढने का तरीका अलग होता है, गोलू को एडवांटेज देने के पहले पता किया जाना चाहिये था कि क्या ये उनका तरीका है ज्ञान पाने का।क्या गोलू जी को आपकी लाइब्रेरी की बाकी पुस्तकों तक पहुंचने पर रोक लगाई गई है?

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