महानता के मानक-3 / क्यों गिरते हैं महान

थरूर, टाइगर वुड्स, क्लिंटन, तमिल अभिनेत्री के साथ स्वामी, चर्च के स्कैन्डल पर पोप, सत्यम, इनरॉन, रोमन राज्य। कड़ी लम्बी है पर सब में एक छोटी सी बात विद्यमान है। सब के सब ऊँचाई से गिरे हैं। सभी को गहरी चोट लगी, कोई बताये या छिपाये। हम कभी ऊँचाई पर पहुँचे नहीं इसलिये उनके दुख का वर्णन नहीं कर सकते हैं पर संवेदना पूरी है क्योंकि उन्हें चोट लगी है। पर कोई कभी मिल गया तो एक प्रश्न अवश्य पूँछना है।

महानता की ऊँचाई पर हम अकेले हैं, सबकी पैनी दृष्टि है हम पर — बहुत लोग इस स्थिति को पचा नहीं पाते हैं और सामान्य जीवन जीने गिर पड़ते हैं। महानता पाना कठिन है और सहेज कर रख पाना उससे भी कठिन।

भाई एक तो परिश्रम कर के आप इतना ऊपर पहुँचे। इतनी बाधाओं को पार किया। कितने प्रलोभनों का दमन किया। तब क्या शीघ्रता थी हवा में टाँग बढ़ा देने की? वहीं पर खूँटा गाड़ कर बैठे रहते, तूफान निकल जाने देते और फिर बिखेरते एक चॉकलेटी स्माइल।

क्या कहा? आपका बस नहीं चलता। किस पर ? हूँ..हूँ… अच्छा।

उत्तर मिल गया है। आकर्षण के 6 गुण (सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग) यदि किसी से पीडित हैं तो वे हैं 6 दोष।

काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर (ईर्ष्या)

अब गोलियाँ भी 6 और आदमी भी 6। अब आयेगा मजा। तेरा क्या होगा कालिया?

यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की इस श्रृंखला की तीसरी अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं।

आप पर निर्भर करता है कि महान बनने की दौड़ में हम उन दोषों को अपने साथ न ले जायें जो हमें नीचे गिरने को विवश कर दें। नौकरशाही, राजनीति, बाहुबल सब पर ये 6 दोष भारी पड़ते हैं। आप बहुत ज्ञानी हैं पर आपको दूसरे से ईर्ष्या है। आप त्यागी और बड़े साधु हैं पर आप धन एकत्रीकरण में लगे हैं।

Monica Bill इन ऊपर ले जाने वाले गुणों में व नीचे खीचने वाले दोषों में एक होड़ सी लगी रहती है। हर समय आपके सामने प्रलोभन पड़े हैं। झुक गये तो लुढ़क गये। जो ऊँचाई पर या शक्तिशाली होता है उसके लिये इन दोषों में डूब जाना और भी सरल होता है, उसे सब प्राप्त है। गरीब ईर्ष्या करे तो किससे, मद करे तो किसका?

अमेरिका कितना ही खुला क्यों न हो पर किसी राष्ट्रपति का नाम किसी इन्टर्न महिला के साथ उछलता है तो वह भी जनता की दृष्टि में गिर जाता है।

महानता की ऊँचाई पर हम अकेले हैं, सबकी पैनी दृष्टि है हम पर, यह जीवन और कठिन बना देती है। बहुत लोग इस स्थिति को पचा नहीं पाते हैं और सामान्य जीवन जीने गिर पड़ते हैं। महानता पाना कठिन है और सहेज कर रख पाना उससे भी कठिन।

राम का चरित्र अब समझ आता है। ईसा मसीह की पीड़ा का अब भान होता है। धर्म का अंकुश लगा हो, जीवन जी कर उदाहरण देना हो, पारदर्शी जीवनचर्या रखनी पड़े तो लोग ऊँचाई में भी टूटने लगते हैं।

वाह्य के साथ साथ अन्तः भी सुदृढ़ रखना पड़ेगा, तब सृजित होंगे महानता के मानक।


प्रवीण पाण्डेय एक कठिन परिश्रम करने वाले अतिथि ब्लॉगर हैं। उन्होने उक्त पोस्ट के साथ एक पुछल्ला यह जमाया है कि पाठकों से पूछा जाए कि फलाने महान में वे क्या मुख्य गुण और क्या मुख्य दोष (अवगुण) पाते हैं। उदाहरण के लिये, प्रवीण के अनुसार रावण में शक्ति और काम है। टाइगर वुड्स में यश और काम है। दुर्वासा में त्याग के साथ क्रोध है। हिटलर में शक्ति के साथ मद है।

आप इस लिंक पर जा कर दी गयी प्रश्नावली भर कर प्रविष्टि सबमिट कर सकते हैं। आप किसी महान विभूति को चुनें – आप किसी महान टाइप ब्लॉगर को भी चुन सकते हैं! :)

प्रश्नावली पर आपके उत्तर की स्प्रेड शीट मैं प्रवीण को दे दूंगा। फिर दखें वे क्या करते हैं उसका!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

63 thoughts on “महानता के मानक-3 / क्यों गिरते हैं महान

    1. टिप्पणियां जरूर बात करती प्रतीत होती हैं!

      Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started