नाले पर जाली – फॉलोअप

मैने इक्कीस फरवरी’२०१० को लिखा था :

Vaitarni Nala Jaali_thumb[2] गंगा सफाई का एक सरकारी प्रयास देखने में आया। वैतरणी नाला, जो शिवकुटी-गोविन्दपुरी का जल-मल गंगा में ले जाता है, पर एक जाली लगाई गई है। यह ठोस पदार्थ, पॉलीथीन और प्लॉस्टिक आदि गंगा में जाने से रोकेगी।

अगर यह कई जगह किया गया है तो निश्चय ही काफी कचरा गंगाजी में जाने से रुकेगा।

Vaitarnai nala follow up
आज देखा कि सरकार ने मात्र जाली लगा कर अपने कर्तव्य की इति कर ली थी। जाली के पास इकठ्ठा हो रहे कचरे की सफाई का अगर कोई इन्तजाम किया था, तो वह काम नहीं कर रहा। अब पानी इतना ज्यादा रुक गया है जाली के पीछे कि वह जाली से कगरियाकर निर्बाध बहने लगा है। अर्थात पॉलीथीन और अन्य ठोस पदार्थ सीधे गंगा में जा सकेंगे।

ढाक के कितने पात होते हैं? तीन पात!   


यह पोस्ट मेरी हलचल नामक ब्लॉग पर भी उपलब्ध है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

15 thoughts on “नाले पर जाली – फॉलोअप

  1. इंजीनियर by training अभिशप्त हैं। मुझे खुले गड्ढे और उनके ढक्कन चुभते रहते हैं और आप को नाले की जाली !वैसे हिमांशु जी ने दूसरी वाली पर जो ठहराव होने पर कगरिया कर निकलने वाली बात कही है, मार्के की है। सिविल इंजी. का सिद्धांत है – load goes to stiffness. फेल्योर के समय कगरिया कर प्रवाह निकल जाता है और अपने पीछे विध्वंश छोड़ जाता है।

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  2. घर से कचरा साफ किया, रास्ते पर डाल दिया. यही मानसीकता है ना जी हम महान संस्कृति के सभ्य लोगों की? गंगा गंदा नाला बनेगी ही.

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  3. अब सरकार को क्या पता था कि पानी में भी सोचने की शक्ति होती है, कि वह सामने रास्ता बंद देख साइड से बह निकलेगा.पानी से भी ज़्यादा समझदार सरकारी बाबू की ज़रूरत है गंद रोकने के लिए.

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