द्वारिकापुर का डोम – मयंक चौधरी


पहली बार वहां सरपत की झोंपड़ी देखी गंगा किनारे द्वारिकापुर गांव में। दरवाजे की टटरी बंद थी। मैं उस झोंपड़ी का चित्र लेने लगा तो वह किशोर बाहर निकल आया। नंगे बदन। मात्र एक गमछा लपेटे। उत्तरीय के रूप में मात्र एक माला। नाम बताया मयंक चौधरी। घाट का डोम। पहले बनारस के घाट सेContinue reading “द्वारिकापुर का डोम – मयंक चौधरी”

Design a site like this with WordPress.com
Get started