गंगोत्री और प्रेमसागर

प्रेमसागर ने गंगोत्री से फोन किया – “भईया, आपको और भाभी जी को चरनस्पर्श प्रनाम। गंगोत्री पंहुच गया हूं। बड़ी ठण्डी है। उंगलियाँ सुन्न हो रही हैं। यहां दो तीन दिन रहूंगा। उसके बाद यहाँ से जल ले कर केदारनाथ को रवाना हूँगा। साथ में और भी लोग होंगे। केदारनाथ में तो देवघर वाले कांवर बंधु भी जुड़ जायेंगे। केदार से देवघर की यात्रा में तो करीब पच्चीस लोग साथ होंगे। … मैं आपको गंगोत्री की गंगाजी और बर्फ से ढंके पहाड़ दिखाता हूं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में।”

गंगोत्री में प्रेमसागर

प्रेमसागर को मैंने गुजरात के नागेश्वर तीर्थ में छोड़ा था। उसके बाद प्रत्येक ज्योतिर्लिंग दर्शन की सूचना वे मुझे फोन कर देते रहे हैं। नित्य की यात्रा गतिविधि नहीं मिली और मैंने पूछी भी नहीं पर मोटे तौर पर यात्रा का प्रवाह पता चलता रहा। प्रेमसागर के साथ लोग जुड़ गये थे जो उनकी हर जरूरत के काम आ रहे थे। तो उन्हें ट्रेवलॉग लेखन की आवश्यकता नहीं थी। उनका ध्येय यात्रा करना था, जो वे सरलता से कर ले रहे थे। ट्रेवलॉग मेरा ध्येय था जो डिसकनेक्ट हो गया था।

प्रेमसागर महाराष्ट्र और दक्षिण के ज्योतिर्लिंगों की यात्रा सम्पन्न कर वापस वाराणसी लौटे। वहां से वे मुझसे मिलने मेरे घर भी आये। फिर वे रवाना हुये और कानपुर होते हुये मथुरा भी गये। बनारस में और मथुरा में अपने सम्बंधियों से भी मिले। मथुरा में उनके पिताजी भी मिले – ऐसा उन्होने बताया। उसके बाद कल शाम उन्होने सूचना दी कि वे गंगोत्री पंहुच गये हैं। मई में केदार के पट खुलेंगे और तब वे गंगोत्री का जल ले कर सात आठ लोगों की टोली में, केदार में होंगे।

मैं वीडियो चैट के दो चार स्क्रीनशॉट लेता हूं। प्रसन्न लग रहे हैं प्रेमसागर, बावजूद इसके कि सर्दी की शिकायत कर रहे हैं। उसके बाद वे गंगोत्री के और हिमाअच्छादित प्रस्तरखण्डों के चित्र भी भेजते हैं।

मैं वीडियो चैट के दो चार स्क्रीनशॉट लेता हूं। प्रसन्न लग रहे हैं प्रेमसागर, बावजूद इसके कि सर्दी की शिकायत कर रहे हैं।

प्रेमसागर की भलमनसाहत है कि वे फोन कर मुझे जानकारी दे रहे हैं। अब उनके पास लोगों का सपोर्ट सिस्टम है और यात्रा हेतु प्रचुर सहयोग भी। पर मेरा मन करता है उनकी यात्रा – गंगोत्री से केदार तक की पदयात्रा का विवरण जानने का। मुझे यह भी मालुम है कि यह यात्रा आदिकाल के विकट चारधाम मार्ग से नहीं होने वाली। उसके अलावा अब जमाना पाण्डवों की हिमालय यात्रा के युग से बहुत बदल चुका है। अब स्टीफन एल्टर की पुस्तक – Becoming a mountain : Himalayan journeys in search of the sacred and the sublime – की चारधाम मार्ग को खोजने की यात्रा से भी कहीं अलग प्रकार की यात्रा होगी प्रेमसागर की। पर फिर भी हिमालय और पदयात्रा होगी ही! मुझे पक्का नहीं पता कि मैं पुन: प्रेमसागर से कनेक्ट कर पाऊंगा कि नहीं; पर मेरा ट्रेवलॉगप्रेमी मन एक बार फिर जोर मार रहा है। इसबार अगर हुआ तो यह आठ-दस दिन का कमिटमेण्ट होगा यात्रा से डिजिटल जुड़ाव का। पर वह किस रूप में होगा, या होगा भी नहीं, कहा नहीं जा सकता। फिलहाल मुझे हिमाच्छादित पर्वत और गंगोत्री का बहता पानी – जो प्रेमसागर के भेजे चित्रों में दीखते हैं – लुभा, ललचा रहे हैं। :-)

देखें, क्या होता है।

हर हर महादेव!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “गंगोत्री और प्रेमसागर

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  2. तरूण शर्माजी ट्विटर पर
    बहुत समय बाद समाचार आया प्रेमसागर जी का।
    अच्छा लगा जानकर कि उनकी यात्रा निर्विघ्न चल रही है। वह भी अब संन्यासी ही लग रहे हैं।

    Liked by 1 person

  3. प्रेमसागरजी के चेहरे में स्‍पष्‍ट सकारात्‍मक अंतर आया दिखाई देता है। इस भीषण यात्रा ने उन्‍हें काफी बदला होगा। अब देखना है कि वे पुन: सहज होंंगे या नए व्‍यक्तित्‍व को कांटिन्‍यू करेंगे…

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