प्रेमसागर – मैहर से अमरपाटन

21 फरवरी 2023

मैहर – माई का हार। कल प्रेमसागर ने शारदापीठ के दर्शन किये थे। आज सवेरे निकल लिये रींवा केलिये। सत्तर किलोमीटर दूर। यात्रा के पहले दिन में ही कठिन टार्गेट सेट कर लिया था। पर शाम को वे अमरपाटन तक ही पंहुचे। करीब बत्तीस किमी चले। बताया – भईया गर्मी बहुत थी दिन में और ये काला वाला एक ओर लटकाने का बैग तकलीफ दिया। कंधा दर्द होने लगा। अब एक पिट्ठू ही लेना पड़ेगा। पीठ पर सामान ले कर चलना बेहतर रहेगा।

रास्ते में तीन नौजवान मिले। उनमें से एक का नाम प्रेमसागर को याद है शिवम। वे लोग साइकिल से थे, पर प्रेमसागर का बैग उठा कर तीन किमी साथ चले।

रास्ते में तीन नौजवान मिले। उनमें से एक का नाम प्रेमसागर को याद है शिवम। वे लोग साइकिल से थे, पर प्रेमसागर का बैग उठा कर तीन किमी साथ चले। उनका फोटो भी खींच लिया है। रास्ते में गेंहूं, सरसों और चना ही दिखा खेतों में। कोई अन्य प्रयोग नहीं। पहाड़ हैं नेपथ्य में पर सड़क के आसपास गांव और जमीन समतल है। पानी का साधन लोगों ने बताया कि भूगर्भ जल की बोरिंग और तालाब हैं। मकान कच्चे पक्के हैं। एक खपरैल के बड़े मकान के बाहर टीवी का एण्टीना भी दिखा। सामान्य सम्पन्नता होगी लोगों में। मध्यप्रदेश का यह हिस्सा अपेक्षाकृत गरीब है, पर लगता है ‘बीमारू’ प्रांत की हद से ऊपर उठा है। यहां भी ईंट भट्ठा में काम करने के लिये झारखण्ड/बंगाल से लेबर आती है।

अमरपाटन की वन विभाग की नर्सरी के तिवारी जी के घर पर उनके परिवार के साथ प्रेमसागर।

देर शाम को वे अमरपाटन में वन विभाग की नर्सरी, जहां उनके रहने का इंतजाम था, ओवरशूट कर गये। करीब दो किमी आगे चले गये थे। एक सज्जन जो उन्हें पहले से जानते थे और अमरपाटन के ही थे, ने उन्हें ट्रैक किया और वापस नर्सरी में ला कर छोड़ा। नर्सरी बतायी थी बांयी ओर पर वह निकली दांयी तरफ। इसलिये चूक गये थे प्रेमसागर। नर्सरी के ही कर्मचारी जीतेंद्र तिवारी जी के घर पर उन्हें रुकने को स्थान मिला। हनुमना के रहने वाले हैं तिवारी जी। प्रेमसागर की हनुमना की पुरानी यादें हैं। वहां के भागीरथी जी का तो अब भी फोन आता है उनके पास। हनुमना के नाम से तिवारी जी से आत्मीयता बन गयी।

मैं प्रेमसागर को “घर की मुरगी दाल बराबर” समझ कर वह भाव नहीं देता जो देना चाहिये। प्रेमसागर में लोगों को अपने साथ जोड़ने, नेटवर्क कायम करने में दक्षता है। पिछ्ली ज्योतिर्लिंग यात्रा के दौरान बहुत सम्पर्क बनाये हैं और उससे उनका आत्मविश्वास भी काफी बढ़ा दीखता है।

अमरपाटन सतना जिले की एक म्यूनिसिपालिटी है। नेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार आबादी 25 हजार के आसपास होगी। पास में कोई गढ़ी है जिसे रींवा के राजा अमरसिंह ने बनाया था। उन्हीं के नाम से यह जगह हुई अमरपाटन। पाटन अर्थात नगर। विंध्य और सतपुड़ा के बीच में पड़ता होगा अमरपाटन। पास ही दक्षिण में गोरसारी पहाड़ी और सुंदर गोरसारी गांव है जो सतपुड़ा रेंज का हिस्सा है और अमरपाटन तहसील में है।

प्रेमसागर की यात्रा में वह सब देखना तो है नहीं। उन्हें तो शक्तिपीठ देखने-दर्शन करने हैं। पर उनके बारे में लिखते समय मैं यह सब डिजिटली देख-खंगालता हूं। मेरी प्रेमसागर की यात्रा में आसक्ति उसी सब के कारण है। उनके माध्यम से यह भारतदर्शन है मेरे लिये! :-)

पहाड़ हैं नेपथ्य में पर सड़क के आसपास गांव और जमीन समतल है।

देवी माता की जय हो!

ॐ मात्रे नम:!

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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