2 जून 2023
बाबा प्रेमदास के मिष्टान्न भण्डार में रात गुजारने के बाद अगले दिन (2 जून को) प्रेमसागर आगे रवाना हुये। वे सरिस्का बाघ अभयारण्य से गुजर रहे थे। सड़क बफर जोन और अभयारण्य की सीमा से गुजरती है। मिष्टान भण्डार के मालिक जी से उन्हें सलाह दी कि भोर में न निकलें। कुछ समय गुजर जाने दें। सड़क पर थोड़ी चहल पहल हो जाये तभी जाना ठीक होगा। उन्हें रास्ते के लिये एक लाठी भी दे दी। अन्यथा, कम सामान ले कर चलने के हिसाब से प्रेमसागर एक स्लिंग बैग भर ले कर यात्रा कर रहे थे। यह यात्रा उनकी कांवर यात्रा से बिल्कुल अलग है। उस यात्रा में तो कांवर और पोटली आदि मिला कर कांधे पर तीस किलो का वजन हुआ करता था।


सफारी का बुकिंग ऑफिस और जीप
एक स्थान पर अभयारण्य सफारी का बुकिंग ऑफिस मिला। एक जीप खड़ी थी। उसमें प्रति व्यक्ति 1200रुपये के हिसाब से बुकिंग हो रही थी। jजीप में छ सैलानी आते हैं। उन्हें दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक यह जीप अभयारण्य में लोगों को घुमाने के बाद इसी स्थान पर वापस ला कर छोड़ती है। जीप वाला बोल रहा था कि उसको इस सफारी से प्रति व्यक्ति तीन सौ मिलते हैं। बाकी सरकार (वन विभाग?) लेती है।
एक वेब साइट पर मुझे सफारी का रेट 800रुपये दिखा। हो सकता है कि साइट अपडेट न की गयी हो। या यह भी हो सकता है कि जीप वाला चार सौ रुपया ज्यादा झटक रहा हो। फिलहाल प्रेमसागर को सफारी भ्रमण नहीं, शक्तिपीठ की यात्रा करनी थी। वे आगे बढ़े।


वन्य क्षेत्र मोहक था। एक जगह एक भले सज्जन कौव्वों और मछलियों को रोटी और कबूतरों को दाना खिलाते मिले। “लोग बड़े भले हैं इस इलाके में भईया।”
कुछ छोटे जानवर उन्हें रास्ते में मिले। एक जगह जंगली सूअर भी दिखा। लगा कि वह हमला कर सकता है, पर यह भी लगा कि अगर हमला करेगा तो पास में लाठी है। दो चार लाठी तो जमा ही सकते हैं। “भईया इतनी यात्रा का एक बदलाव तो है। अब भय उतना नहीं लगता। पहले जंगल और पानी में अकेले नहीं हिल सकता था। अब जाने में कोई दिक्कत नहीं होती। शक्तिपीठ यात्रा का यह प्रभाव तो हुआ है।”

“मैने आपको एक मशीन के फोटो भेजे हैं। यहां हर बड़ी मिठाई की दुकान पर मावा स्टीम से बनता है। एक जगह भाप बनाई जाती है। वह पाइप से तीन कड़ाहों पर जाती है। दूध गरम होता है और तीसरे कड़ाहे में वह मावा बनता है।” – प्रेमसागर ने बताया। मुझे इस मशीन के बारे में नहीं पता था। नेट पर देखा तो ज्यादा मंहगी नहीं है चालीस-पचास हजार की है। हाथ से पल्टा चला कर खोआ बनाने की जरूरत नहीं होती। खोआ जलने की सम्भावना भी नहीं होती। प्रेमसागर की पदयात्रा का लाभ हुआ कि ऐसी मशीन का पता चला।

किराएदार निभाए थे”
शाम के समय, विराट नगर के कुछ पहले एक गांव – चाक गोरवारी (प्रेमसागर चाक गौदावरी लिखते हैं, पर मैं स्थानों के नामों के बारे में उनकी बजाय गूगल को ज्यादा सही मानता हूं) – में कोई फिल्म करन-अर्जुन की शूटिंग हुई थी, ऐसा प्रेमसागर को पता चला। जिस दुकान में शूटिंग हुई थी, वह देखी। जिस सज्जन ने कोई “बलविंदर सिंह” का रोल अदा किया था, वे सज्जन भी मिले। “चित्र में दांये साइड जो भईया हैं, वे बलविंदर सिंह का किरायेदार अदा किये” – प्रेमसागर ने अपनी भाषा में भेजे गये चित्र के साथ लिखा। अब चित्र में प्रेमसागर के साथ तीन व्यक्ति हैं। कौन किरदार अदा करने वाले हैं – वह मुझे स्पष्ट नहीं होता। वह जानने के लिये मैंने पूछा भी नहीं। फिल्म में दिलचस्पी नहीं मुझे! :-)
शाम सात आठ बजे पंहुचे होंगे प्रेमसागर विराट नगर। वहां पंचवटी में हनुमान मंदिर में उन्हें रहने को जगह मिली। श्री अम्बिका शक्तिपीठ वहां से ढाई किलोमीटर आगे पहाड़ी पर है। मंदिर चौबीस घण्टे खुला रहता है पर रास्ता जंगली और सुनसान है। पंचवटी के हनुमान मंदिर वालों ने सलाह दी कि वे रात में दर्शन करने की बजाय अगले दिन सवेरे दर्शन करने जायें।

रात हनुमान मंदिर में गुजारी प्रेमसागर ने। मंदिर के प्रबंधक-पुजारी हैं सीतेश मिश्र जी। एक बालक प्रेमसागर के लिये भोजन बनवा कर लाया अपने घर से। महेश सैनी जी उसके बाबा हैं।
पदयात्रा में कोई करन-अर्जुन के किरदार, कोई सीतेश मिश्र, कोई महेश सैनी जी, कोई बाबा प्रेमदास मिल जाते हैं प्रेमसागर को। जहां यात्रा में सहायता स्नेह मिलता है, वहां यात्रा सुखद होती है। वहां मंदिरों में भगवान होते हैं। जहां नहीं होता, वहां कुड़बुड़ाहट व्यक्त करते हैं प्रेमसागर। पर यात्रा की प्रकृति पर उन सब से फर्क नहीं पड़ता। अगला दिन होता है और प्रेमसागर आगे की यात्रा पर निकल लेते हैं।
[यह लेखन तीन दिन के समयांतराल के बाद है। इस बीच प्रेमसागर अस्वस्थ हो चुके हैं और यात्रा बीच में रोक कर लौट गये हैं। अभी सलेमपुर से गुजर रहे हैं। बड़ी बहन जीरादेई रहती हैं। सिवान के पास। जीरादेई बाबू राजेंद्रप्रसाद का पैत्रिक स्थान है। … अजब गजब है यह पदयात्री! लू लगने पर एक हजार किमी की बस और कार से यात्रा कर घर जा रहा है कि वहां हफ्ता भर आराम कर फिर निकलेगा!

खैर, इस दौरान प्रेमसागर की पदयात्रा के एक सप्ताह के पैचेज बाकी हैं। जिन्हे टुकड़े टुकड़े में रोज लिखने का प्रयास करूंगा।]
हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:।
| प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
| दिन – 103 कुल किलोमीटर – 3121 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल। |
