फिर घूमने निकल लिये प्रेमसागर

2 जुलाई 2023

राजस्थान में लू लगने से बीमार हुये प्रेमसागर 1000 किमी की बस और कार यात्रा से जीरादेई, सिवान पंहुच गये थे। उस बात को एक महीना होने आया। अपनी बहन के घर महीना भर आराम करने के बाद प्रेमसागर फिर निकल लिये हैं। अब वे पुन: विराटनगर के आगे भामोद नामक गांव में पंहुच कर अपनी पदयात्रा प्रारम्भ करेंगे। भामोद के रामेश्वर जी से बात कर ली है। उनके अनुसार वहां तूफान या बारिश का असर नहीं है। तापक्रम भी कम हो गया है और लू नहीं चल रही।

एक जुलाई को जीरादेई से निकल कर किसी ट्रेन से प्रेमसागर सलेमपुर पंहुचे। सलेमपुर से भटनी-वाराणसी सिटी एक्सप्रेस (गाड़ी सभी स्टेशनों पर रुकती पैसेंजर है; पर रेलवे ने आमदनी बढ़ाने के लिये उसे इण्टर सिटी एक्सप्रेस का दर्जा दे कर किराया बढ़ा दिया है।) यह पैसेंजर रात साढ़े नौ बजे बनारस पंहुची। उस समय कोई वाहन पकड़ चालीस किमी दूर देर रात मेरे घर आना उचित नहीं लगा। वहीं एक लॉज में रुक गये प्रेमसागर। कल दो जुलाई को सवेरे साढ़े आठ बजे वे मेरे यहां गांव में पंहुच गये।

मेरे घर पर प्रेमसागर

यात्रा के लिये निकल लेना – यह सभी के गुणसूत्रों में नहीं होता। मुझे अगर कहीं जाना हो तो मन हजार बहाने बनाता है न जाने के। और कुछ नहीं लगता तो शरीर अस्वस्थ न होने पर भी बीमार लगने लगता है। पर मेरे उलट है यह व्यक्ति। प्रेमसागर ने जीरादेई से निकलने के पहले बताया था – “कल निकलूंगा भईया। सपने आने लगे हैं। माता कहने लगी हैं कि मुझे बाहर बिठा कर तू घर में आ कर सो गया है। अब सपने ज्यादा ही प्रबल हो गये हैं। निकलना ही होगा।”

प्रेम सागर का यूपीआई एड्रेस
प्रेमसागर की पदयात्रा हेतु अगर आप कुछ सहयोग करना चाहें तो निम्न यूपीआई पते पर कर सकते हैं –
Prem12Shiv@SBI
प्रेमसागर के सहयोग हेतु यूपीआई

मानव जाति की यह खासियत है। वह दैवीय रचनायें कर लेता है। उसके लिये शुभ अशुभ चिन्हों और संकेतों और स्वप्नों का जाल बनाता है। प्रेमसागर भी वही बना रहे हैं। उनकी घुमंतू वृत्ति को माता का सपने में आने वाले उलाहने प्रेरित कर रहे हैं। प्रेमसागर के पास ऑप्शन ही नहीं है। उन्हें निकलना ही होगा।

शक्तिपीठ यात्रा सम्पन्न करने पर क्या करेंगे प्रेमसागर? पहले वे रींवा के पास कोई गौशाला, वृद्धाश्रम और विकलांग बच्चों के लिये आश्रय स्थल बनाने की बात करते थे। पर अब कहते हैं कि घर वालों की मान कर लौट जायेंगे अपने गांव और खेतीबारी देखेंगे। पर मुझे नहीं लगता वैसा होगा। वे घुमंतू जीव हैं। भारत की लम्बाई-चौड़ाई धांग (धांग शायद देशज शब्द है – उसका अर्थ है दूर तक चप्पा चप्पा नापना) लिये हैं। अब उन्हें कोनें कोने को देखने की ललक लगेगी। उसके निमित्त महादेव हों या शक्तिपीठ हों या कुछ और – होता ही रहेगा घूमना। या सम्भव है कि भारत से आगे – जहां जहां भी शिव मंदिर हों – अजरबैजान, ईरान, पाकिस्तान/बलूचिस्तान, लंका, इंदोनेशिया – वहां भी हो आयें। :-)

प्रेमसागर अपनी पहले की हरियाणा-पंजाब-हिमांचल और राजस्थान की यात्रा के दौरान की कुछ प्रतीक वस्तुयें मेरे लिये लाये थे।

दो जुलाई के दिन सवेरे का नाश्ता और दोपहर का भोजन कर मेरे घर से निकले। अपनी पहले की हरियाणा-पंजाब-हिमांचल और राजस्थान की यात्रा के दौरान की कुछ प्रतीक वस्तुयें मेरे लिये लाये थे। वे हमें दीं। मेरा वाहन चालक उन्हें महराजगंज में बस पकड़ा आया प्रयाग जाने को। प्रयाग में उन्हें शक्ति उपासक गुड्डू मिश्र जी से मिल कर आगरा के लिये निकलना था। शाम को मुझे इनकी लाइव लोकेशन सिराथू-बिंदकी पास होते दिखी। निश्चय ही उन्होने आगरा जाने के लिये कोई ट्रेन पकड़ ली थी।

मेरी पत्नीजी का कहना है – प्रेमसागर की सतत यात्रा अब किसे रोचक लगेगी? उस डियाक (डिजिटल यात्रा कथा) लेखन का क्या लाभ है? … लाभ किसी और को न हो, पर शायद मुझे है। उस माध्यम से, डिजिटली ही सही; मैं यात्रा कर पा रहा हूं। वर्ना कभी घर से भी नहीं निकलता। उनकी यात्रा के निमित्त, भारत के कई स्थानों की मेरी जानकारी और फील शायद हवाई जहाज, ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले अनेकानेक लोगों से ज्यादा ही है। प्रेमसागर पांड़े और ज्ञानदत्त पांड़े – इस यात्रा में परिपूरक भूमिका निभा रहे हैं। एक दूसरे को झटक नहीं रहे। :lol:

हर हर महादेव!

ॐ मात्रे नम:

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “फिर घूमने निकल लिये प्रेमसागर

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