चित्रकूट के रास्ते छिवलहा #प्रेमसागर

17 जुलाई 2023

बाराँ के पास लोहगरा से आज दिन भर चलते शाम को मऊ से कुछ पहले छिवलहा में प्रेमसागर ने डेरा किया। नीम करोरी बाबा के नाम से चित्रकूट जाते यात्रियों का विश्रामालय है। उसमें एक तख्त और शौच-स्नान की सुविधा थी। अच्छी सुविधा थी। भोजन पास में एक भोजनालय से मिला। जयदेव तिवारी मास्टर उसके कर्ताधर्ता हैं। किन्हीं स्वर्गीय अशोक तिवारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में यह धर्मशाला है। प्रेमसागर ने जयदेव मास्टर जी से मेरी बात कराने की कोशिश की। मास्टर जी को शायद अटपटा लगा हो। बहुत से लोग अनजान से बात करने में झिझक महसूस करते हैं। फोन पर तो और भी। शायद प्रेमसागर को अपनी ओर से पहल नहीं करनी चाहिये थी। मेरे प्रति ज्यादा ही आत्मीय हो जाते हैं प्रेमसागर।

“भईया एक घटना की जानकारी मिली। साल छ महीने पहले यहां भी वैसी घटना हो चुकी है जैसी मेरे साथ कुंचील में हुई थी। यहां जैन पदयात्री को मुस्लिम लोगों ने घेर लिया था। कारण वही बताये – तुम्हारी पोशाक से हमारे बच्चे डर रहे हैं। घटना के बारे में मुझे बताया गया कि उनको तो ये लोग मारने पर उतारू हो गये थे। असल में भईया सड़क पर मुस्लिम लोगों की बस्ती है और हिंदू-जैन भले बहुतायत में हैं, उनके घर सड़क से हट कर हैं।”

जैन साधू, प्रतीकात्मक चित्र। बिंग पिक्चर क्रियेटर से।

“लेकिन भईया आनन फानन में, आधा घण्टा भी नहीं लगा; सैकड़ों जैन लोग इकठ्ठा हो गये। उन्होने फोर्स वगैरह का भी बंदोबस्त कर लिया था। कुछ कर नहीं पाये घेरने वाले। एक बात समझ नहीं आती भईया – जैन या सिख समुदाय के लोग कितना एका दिखाते हैं अपने साधू सन्यासी के साथ कुछ भी होने पर; उसका अंश मात्र भी हिंदू नहीं दिखाते।”

सवेरे जल्दी निकल कर कुल 35किमी चले प्रेमसागर। “मेरा एप्प 29 किमी बताता है भईया पर छ किलोमीटर तो मैं तब चला था जब मोबाइल की बैटरी खतम हो गयी थी।”

रास्ते में एक सीमेण्ट फैक्ट्री पड़ी – अल्ट्राटेक सीमेंट की। इस इलाके में लाइम स्टोन की खदाने हैं। कोयला के लिये भी पास के बारां स्टेशन कोल सरकिट में ही पड़ता है। मुफीद जगह है सीमेण्ट प्लाण्ट लगाने के लिये। यह प्लाण्ट कई मालिक बदल चुका है। मैं जब सुबेदारगंज में उत्तर मध्य रेलवे में था तो इस प्लाण्ट का लदान मेरे कार्यक्षेत्र में आता था।

प्रेमसागर ने बताया कि कांवरिया इस रूट पर भी चल रहे हैं। वे प्रयागराज से जल ले कर कामदगिरि, चित्रकूट तक जाते हैं। वे कामतानाथ की परिक्रमा भी करते हैं। इस इलाके से लोग कल बस से बैजनाथ धाम के लिये भी जाते दिखे थे। “और तो अच्छा है भईया, पर मिलाजुला कर यह इलाका पिछड़ा हुआ दिखता है।

साठ-चौंसठ किमी अभी और चलना है चित्रकूट के लिये। वहां भी, नक्शे में देखा तो पाया कि शक्तिपीठ के तीन दावेदार दिख रहे हैं। मैंने प्रेमसागर को सहेजा है कि वे रामगिरि पर माता के मंदिर में जायें। वहां माता का नाम शिवानी और भैरव चण्ड हैं। उसी मंदिर में उन्हें जाना है।

विश्रामालय के कर्ताधर्ता जयदेव तिवारी जी (दांये, अंतिम व्यक्ति)

हिंदू तीर्थों में मानकीकरण का अभाव बड़ी उलझन का कारण बनता है। उसपर तो अलग से बहुत कुछ लिखा जा सकता है। भारत में शक्तिपीठों के दावेदार गिने जायें तो इक्यावन नहीं, एक सौ इक्यावन निकलेंगे! :sad:

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
*****
प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started