झुरई नदी और सीताकुण्ड

19 जुलाई 2023

राम कोल के अनिरुद्ध सिंह जी ने आग्रह किया कि एक दिन प्रेम बाबा और रुक जायें उनके घर। और प्रेमसागर ने मुझे रुकने का कारण बताया – “भईया, तबियत कुछ ढीली है। आज यात्रा के लिये निकलने लगा अनिरुद्ध जी भी कहे कि बाबा एक दिन और यहीं विश्राम करें। इसलिये आज यहीं रुक रहा हूं।”

तबियत ढीली हो तो आदमी रुक कर दिन भर आराम कर अपनी ऊर्जा संचय करता है। पर उसके उलट प्रेमसागर रुकने पर रामकोल से एक दो किमी दूर वे स्थान देखने निकल गये, जहां चित्रकूट जाते राम-सीता-लक्ष्मण ने एक रात विश्राम किया था। किसी स्थान पर रुकना और आसपास देखना अच्छा है। सरसराते हुये निकल जाना कतई ठीक नहीं और वह पदयात्रा के ध्येय पूरे नहीं करता।

रुकने के लिये प्रेमसागर को कोई कारण ढूंढने (तबियत नरम होने) की जरूरत नहीं होनी चाहिये। मैं पाता हूं कि उत्तरोत्तर प्रेमसागर शब्दों, तर्कों को फेंटना सीख गये हैं। मसलन कहीं कोई मेजबान उन्हें दूध पिलाता है तो उसे सहज भाव से कहा जा सकता है – “फलाने जी ने आधा सेर दूध पिलाया। बहुत अच्छा था और मुझे उसकी जरूरत भी थी। फलाने जी ने मेरी जरूरत को समझा। भईया, फलाने जी बहुत आत्मीय हैं। बड़े आग्रह से दूध पिलाया।” पर प्रेमसागर कहते हैं – “भईया फलाने जी ने बलबस्ती (जबरन) मुझे आधा सेर दूध पिला दिया।” …

प्रेमसागर अनिरुद्ध सिंह जी के साथ

उनकी पदयात्रा के लिये एक बड़ी आबादी सहायक बन रही है। इक्का दुक्का अप्रिय घटनाओं को छोड़ दें तो महादेव लोगों को उनकी गहन सहायता के लिये खड़ा कर रहे हैं। महादेव भी चाहते होंगे कि वे अपनी यात्रा के बारे में कम, उन लोगों की सहृदयता और स्नेह को ज्यादा उभारें। आखिर वे सहायक लोग महादेव ही हैं।

दुर्भाग्यवश उन्हें मेरे रूप में सहायक नहीं, एक छिद्रांवेषी लेखक मिला है! :-)

अनिरुद्ध जी इलाके में सम्पन्न व्यक्ति हैं। उनका पुराना घर है और नया बन रहा है। उनके परिवार में सभी लोग सामाजिक हैं। वे कोर्ट में काम करते हैं और उनके पास दो दस-चक्का हैं। अर्थात दो ट्रक।

आगे एक दिन की यात्रा है। प्रेमसागर जैसी प्रवृत्ति दिखाते रहे हैं उसके अनुसार वे फटाफट शक्तिपीठ के दर्शन कर आगे बढ़ना चाहते हैं। स्थानों या शक्तिपीठ की ऊर्जा को अंदर से महसूस करने को ठहरते नहीं। वे जल्दी में हैं। शक्तिपीठों का स्कोर पूरा करना है। … चलना यात्रा है, पर रुकना और देखना भी यात्रा है। आज प्रेमसागर रुके, अच्छा लगा।


राम कोल के समीप ही है सीता कुण्ड जहां माता सीता ने स्नान किया था।

राम कोल के समीप ही है सीता कुण्ड जहां माता सीता ने स्नान किया था। दो वट और पीपल के वृक्ष भी हैं – कहा जाता है कि तीन चार पीढ़ी से लोग उन्हें जस का तस देखते हैं। वहीं राम और सीता ने रात्रि शयन किया था। कुछ दूर पर लक्ष्मण जी लेटे थे। वह स्थान भी लोग चिन्हित करते हैं। वहां अब हनुमान जी की प्रतिमा है। नदी, जो कुण्ड में जल प्रदाय करती है वह गुंनता या झुरई कहाती है। बताते हैं, पहले इसमें बारहों महीने पानी रहता था पर अब कुछ सालों से यह सूख जाती है।

कुण्ड की जगह अब सीमेण्ट का हौद जैसा बना दिया गया है। कुण्ड का पानी साफ नहीं है, पर उसमें जल हमेशा रहता है। राम-वनगमन-पथ को अगर सुंदर बनाने का सरकार मन बनाती है तो इस कुण्ड को ठीक करना होगा। गुंनता या झुरई नदी के जल को भी बेहतर करना होगा।

माता सीता और भगवान राम जहां विश्राम किये थे वहां एक दुर्गा माता की प्रतिमा है।

माता सीता और भगवान राम जहां विश्राम किये थे वहां एक दुर्गा माता की प्रतिमा है। वहींंपर एक वृक्ष-युग्म है बड़ और पीपल का। उनके पत्ते हमेशा हरे भरे रहते हैं। कई पीढ़ी से वे लोग जस का तस देखते आये हैं इन पेड़ों को।

कुछ दूर पर लक्ष्मण जी लेटे थे। वह स्थान भी लोग चिन्हित करते हैं। वहां अब हनुमान जी की प्रतिमा है।

इलाका हराभरा है। मोर बहुत हैं। “भईया एक बात तो मुझे समझ आती है। मोर वहां रहते हैं जहां भगवान का वास हो। यहां मोर की बहुतायत देख कर यकीन होता है कि भगवान राम यहां विद्यमान हैं।”


इलाका हराभरा है।

प्रेमसागर ने तबियत नरम होने की बात की थी, पर दिन भर में अनिरुद्ध जी के साथ करीब पंद्रह किमी चले। रात वापस उनके घर आ गये रात्रि विश्राम को।

हर हर महादेव! ॐ मात्रे नम:!

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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