रुद्राभिषेक और रुद्र सूक्त

कल शाम शिवाला पर रुद्राभिषेक था। सावन, सोमवार और प्रदोष काल – इनमें रुद्राभिषेक का महत्व है। सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। घोर संकट टल जाते हैं। अटका हुआ शादी व्याह सुगम हो जाता है। जो, करा रहे थे, उन्हें यह सब अभीष्ट रहा होगा। मुझे तो हाजिरी लगानी थी।

आजकल मेरी एकाग्रता में बहुत कमी दिख रही है। कोई पुस्तक 10-20 मिनट से ज्यादा एक साथ नहीं पढ़ पा रहा। लिखने में भी लैपटॉप पर बैठना भारी पड़ रहा है। कई विषय ड्राफ्ट में पड़े हैं। प्रेमसागर पर आधा दर्जन पोस्टों का बैकलॉग है। रोज जो दीखता है, उसपर मन होता है लिखने का, पर लिखना नहीं हो पा रहा। अब तो चित्र खींचने का भी मन नहीं होता। … यह सब ट्रांजियेण्ट है। कुछ दिन चलेगा। फिर नीके दिन आयेंगे, बनत न लागे देर!

कल शाम शिवाला पर रुद्राभिषेक था।

रुद्राभिषेक तीन साढ़े तीन घण्टे चला। प्रदोष काल शाम का दिन और रात का संधिकाल होता है। सो रुद्राभिषेक साढ़े छ बजे प्रारम्भ हुआ और सम्पन्न होने में रात दस बज गये। मैं तो आधा घण्टा बैठ कर घर चला आया। वहां सब को माथे पर चंदन लेप किया गया। मुझे भी शैवाइट लेप लगाया गया। उस लेप की शीतलता घण्टों महसूस होती रही।

रात दस बजे जब घर पर वे सज्जन (भूपेंद्र दुबे, मेरे साले साहब) मिले जिन्होने सपत्नीक अभिषेक किया था; तो मैंने पूछा – क्या पाठ होता है अभिषेक में? रुद्राष्टाध्यायी का?

उन्हें पता नहीं था। उनका ध्येय अभिषेक के कर्मकाण्ड में पण्डिज्जी के मंत्रोच्चार का श्रवण करना, अभिषेक की विधि का पालन करना और मोटे तौर पर श्रद्धा से भगवान शंकर का ध्यान करना था। भक्ति और श्रद्धा महत्वपूर्ण थी, ज्ञान नहीं।

उनसे मैंने पूछ तो लिया, पर प्रश्न का उत्तर न मिलने पर प्रश्न मुझसे चिपक गया। मैंने खुद कभी रुद्र उपासना या अभिषेक नहीं किया तो कभी जानने का प्रयास भी नहीं किया था, अब तक। रात में नींद उचट जाने पर बारह बजे कम्प्यूटर खोल कर चैटजीपीटी और गूगल बार्ड की संगत की।

पता चला – रुद्राभिषेक में शिवोपासना से प्रारम्भ कर मूलत: शुक्ल और कृष्ण यजुर्वेद में सम्मिलित रुद्र सूक्त का पाठ और तदानुसार अभिषेक होता है। रुद्राष्टाध्यायी भी कृष्णयजुर्वेद की तैत्तरीय संहिता में है। पर उसका लोग नित्य पाठ करते हैं। रुद्राभिषेक में उसका वाचन नहीं होता। रुद्राष्टाध्यायी में 100 सूक्त हैं। रुद्र सूक्त में 11 हैं।

टुन्नू पण्डित का त्रिपुण्ड लगाने का होता मेक-अप!

मैंने चैटजीपीटी को रुद्र सूक्त पर एक दो पैराग्राफ लिखने को कहा। हिंदी में जो उसने लिखा, उसमें अनुवाद और वर्तनी की अशुद्धियां थीं। अंग्रेजी वाला नीचे दे रहा हूं –

Summary of Rudra Sukta:

The Rudra Sukta begins with an invocation to Lord Rudra and praises His various attributes. It recognizes Him as the powerful and fierce form of the Divine, capable of both creation and destruction. The hymn beautifully describes the magnificence and splendor of Lord Rudra.

The main part of the Rudra Sukta consists of eleven hymns, each containing different mantras that extol the greatness of Lord Rudra. These hymns describe Him as the ruler of the universe, the source of life, and the embodiment of cosmic energy. The verses invoke His blessings for protection, health, and prosperity.

The hymns also seek forgiveness for any sins or wrongdoings and request Lord Rudra to bestow His benevolence upon the devotees. The Rudra Sukta emphasizes the dual nature of Lord Rudra, as He is fierce and fearsome, yet merciful and compassionate to His devotees.

The recitation of the Rudra Sukta during rituals like the Rudrabhishek is believed to invoke the divine presence of Lord Rudra and bring forth His blessings and grace. It is considered a powerful Vedic chant with profound spiritual significance.


[मेरी पत्नीजी का कहना है कि अंग्रेजी में चैटजीपीटी ठेलना अनुचित है। सो हिंदी अनुवाद वर्तनी ठीक कर दे रहा हूं –

रुद्र सूक्त का सारांश:

रुद्र सूक्त भगवान रुद्र (भगवान शिव का रौद्र रूप) को समर्पित एक पवित्र ऋग्वेदीय स्तोत्र है। इसमें भगवान रुद्र की आराधना की गई है। इससे भगवान रुद्र को सृष्टि और प्रलय की शक्ति वाले दिव्य रूप के रूप में वर्णित किया गया है। इस सूक्त में भगवान रुद्र की महिमा और शोभा का विवरण अत्यंत सुंदर ढंग से किया गया है।

रुद्र सूक्त का मुख्य भाग ग्यारह मंत्रों से मिलकर बना है, जो भगवान रुद्र की महानता की प्रशंसा करते हैं। इन मंत्रों में भगवान रुद्र को सृजन नियंता, जीवन का स्रोत और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अवतार माना गया है। इन छंदों में भगवान रुद्र से सुरक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि की कृपा मांगी जाती है।

इन मंत्रों में भगवान रुद्र से क्षमा भी मांगी जाती है और भक्तों द्वारा उनकी अनुकम्पा हेतु प्रार्थना की जाती है। रुद्र सूक्त में भगवान रुद्र के द्वैविध्य को भी जोर दिया गया है, क्योंकि वे कृपा और करुणा के साथ अपने भक्तों के प्रति उग्र और भयानक भी हैं।

रुद्र सूक्त के साथ रुद्राभिषेक वाली पूजा-अर्चना करने को भगवान रुद्र के दिव्य प्रकटन का निमंत्रण माना जाता है। ऐसा करने से उनकी कृपा और आशीर्वाद का अनुभव होता है। इस सूक्त को शक्तिशाली वैदिक मंत्र माना जाता है जिससे आध्यात्मिक दृढ़ता की गहनता से अनुभूति होती है।]


भला हो कल के प्रदोष काल के रुद्राभिषेक का। मैं रिश्ते के कारण श्रेष्ठ ब्राह्मण था सो मुझे बिना कुछ किये पण्डिज्जी लोगों के साथ पहले भोजन कराया गया। पांच सौ रुपये की दक्षिणा भी मिली (जो मैंने पूरी निष्ठा से अपनी पत्नीजी को दे दी!) इस पांच सौ में से तीन सौ रुपये तो स्वामी तेजोमयानंद की श्री रुद्रसूक्तम की टीका पर लग जायेंगे। बाभन को मिला दान सरस्वती माता के डोमेन में ही चला जाता है! 😆

हर हर महादेव!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

One thought on “रुद्राभिषेक और रुद्र सूक्त

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading