विवेक और वाणी की माता पिता की सुध


जैसे शिखर पर बहुत एकाकीपन होता है उसी तरह सेवाभाव भी एकाकीपन वाला होता है। अगर आपको उसमें सेल्फ मोटीवेशन न हो तो बहुत जल्दी लोगों की छोटी बड़ी जरूरतों को पूरा करना और उपेक्षा भी झेलना ऊबाऊ बन जाता है।

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