मेरा मानसिक डूप्लीकेट नागेश्वर बहुधा मुझसे कहता है कि वह भी बूढ़ा हो रहा है। इससे पहले कि वह भी बिस्तर तक सीमित हो जाये या डिमेंशिया का शिकार हो, वह अभिव्यक्त हो जाना चाहता है। नागेश्वर का व्यक्तित्व मुझे निखारना-गढ़ना है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
मेरा मानसिक डूप्लीकेट नागेश्वर बहुधा मुझसे कहता है कि वह भी बूढ़ा हो रहा है। इससे पहले कि वह भी बिस्तर तक सीमित हो जाये या डिमेंशिया का शिकार हो, वह अभिव्यक्त हो जाना चाहता है। नागेश्वर का व्यक्तित्व मुझे निखारना-गढ़ना है।