किनारा नहीं दिखता था। इस किनारे इक्का दुक्का लोग भर थे स्नान करते। कोई नाव भी नहीं। कोई बंसी लगा मछली पकड़ते हुये भी नहीं था। पक्षी भी कम ही दिखे। अचानक प्रयाग की ओर से एक खाली मोटरबोट आती दिखी। दूर से ही उसकी आवाज आ रही थी। कोहरे को चीरती आ रही थीContinue reading “कोहरे में गंगा और मोटरबोट”
