मेरे नीचे के इनसाइसर (काटने वाले दांत, कृन्तक) काले पड़ रहे थे। उनकी जड़ें ठीक थीं। ठंडा गरम भी इतना नहीं लगता था कि उसके उपचार की एमरजेंसी हो। पर काले दांत ऐसा आभास देते थे कि व्यक्ति तमाकू-सुरती-पानमसाला ज्यादा ही खाता है। जबकि मैं पान-सुरती खाता ही नहीं। मेरी मुस्कान और हंसी उत्तरोत्तर होठContinue reading “स्वमित्र, दांत के डाक्टर”
