9 दिसम्बर 2024 की छोटी पोस्टें

ये पोस्टें ट्विटर और फेसबुक पर गईं –

(1) कुछ चीजें बनाना/बनवाना सरल होता है #गांवदेहात में। मैं खेत में मचान चाहता था जहां बैठ कर दूर दूर तक का दृष्य देख सकूं। सामने रेल लाइन है, रेलवे क्रॉसिंग है। ट्रेनों की आवाजाही है और रेलवे स्टेशन है। खेत हैं। सड़क है। बभनान है और दलित बस्ती भी। शाम को सूरज भी रेल की पटरी के छोर पर ढलता है।

फिर सोचा खेत के बगल में ही मेरा घर है तो मचान घर की पिछली चारदीवारी से सट कर, घर में ही बनाया जा सकता है। बगीचे में बांस पर्याप्त पड़ा था, एक प्लास्टिक की निवार वाली खाट भी थी। सीढ़ी का काम देने वाली एक चौघड़िया भी थी। बस, बांस काट कर गाड़ने और उसपर खाट टांगने भर की देर थी और मचान बन कर तैयार। बांस काटने और गाड़ने-खाट टांगने का काम अशोक और राजा ने किया। अशोक मेरे वाहन चालक हैं और राजा सुग्गी का लड़का है। राजा पर एक पोस्ट लिखी जा सकती है।

मचान बन गया है। बस अब कल से मोबाइल, नोटबुक, किंडल और एक बोतल पानी ले कर इसी मचान पर अड्डा जमेगा। दिन यहीं गुजरेगा। पत्नी जी थर्मस में चाय इसी मचान पर दे जायें तो सोने में सुहागा। #ज्ञानमचान #गांवदेहात #घरपरिसर

    (2) चीजें वैसी नहीं जैसे हुआ करती थीं।

    मेरी अम्मा थी, पिताजी थे। वे मेरी उपलब्धियों पर प्रसन्न होते थे। उनके अनुसार एक अच्छे आदमी के कुछ मानक थे। मैं जाने अनजाने उनपर खरा उतरने की कोशिश करता था। मैं करता अपने मन की था, पर एक भाव रहता था कि मां-पिताजी मेरे पीछे हैं। एक सहारा है।

    पर वह अब रहा नहीं। अब कुछ अलग सा करने का ड्राइव अपने में भरना कठिन होता गया।

    अचानक ढेर सारे सवाल पूछती चिन्ना पांड़े (मेरी पोती) को देख एक भाव जगा। वह भी मेरी अम्मा, मेरे पिताजी की तरह मुझे बहुत स्पेशल मानती है। उसके अनुसार मैं सब कुछ जानता हूं। मैं उसकी सारी समस्यायें सुन कर सुलझा सकता हूं। वह हर रोज मुझसे अपेक्षायें रखती है और जब मैं उसे नया बताता या करता हूं, वह चमत्कृत होती है। प्रसन्न होती है।

    पुराना समय वापस नहीं आयेगा। अम्मा और पिताजी नहीं आयेंगे। पर नया समय भी उतना ही शानदार है। चिन्ना पांड़े का समय।

    आगे चिन्ना पांड़े बड़ी हो जायेगी। पर तब कुछ और निमित्त होगा करने और भविष्य की ओर देखने को।

    चीजें वैसी नहीं जैसी हुआ करती थीं, पर जरूरी नहीं कि चीजें खराब होती जायेंगी। वे शायद या निश्चित तौर पर बेहतर होंगी।

    [चित्र – चिन्ना, वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में। मैं उसे रोज शाम के समय पढ़ाया करता हूं।]


    Published by Gyan Dutt Pandey

    Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

    2 thoughts on “9 दिसम्बर 2024 की छोटी पोस्टें

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