प्रेमसागर की नर्मदा पदयात्रा
धर्मराय के नारायण कुटी मंदिर में ट्रस्टी रघु दरबार सोलंकी जी रात में राउण्ड पर आते हैं। व्यवस्था देखते हैं और परिक्रमावासियों की खोजखबर लेते हैं। मेरे मन में प्रश्न उठता है कि नारायण कुटी और इस जैसे सैकड़ों आश्रमों-शालाओं में की जा रही सेवा का अर्थशास्त्र क्या है? आखिर यह धर्म को जीवित रखने और उसके लिये खाद पानी मुहैय्या कराने का कितना शानदार उपक्रम है। समय के साथ इन आश्रमों का स्वरूप बदला होगा। पर आज वह जिस भी तरह से है, वह मन और आत्मा को तृप्त कर जाने वाला है!
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धर्मराय के आगे यात्रा के दौरान प्रेमसागर ने मुझसे पूछा – “भईया, रास्ते में बच्चा बच्चा अभिवादन करता है “नर्मदे हर”। और उसके साथ मुर्गा भी कुकड़ूं कूं करता है। हर जगह ऐसा लगा है कि पशु पक्षी भी कह रहे हों – नर्मदे हर!
