3-5 जून 2023
तीन जून को सवेरे आठ बजे के आसपास श्री अम्बिका शक्तिपीठ दर्शन के बाद विराटनगर से निकले। अगला मुकाम है पुष्कर का मणिबंध शक्तिपीठ। विराटनगर से 221 किमी दूर है पैदल मार्ग से। गर्मी ज्यादा तेज हो गयी है। एक दिन में औसत पच्चीस किलोमीटर ही चला जा सकता है। वह भी तब जब सवेरे भोर में निकला जाये और दस इग्यारह बजे किसी सही जगह पर दोपहर काटी जाये। शाम को फिर चार बजे से सात आठ बजे तक चला जाये। इस हिसाब से आठ-नौ दिन की यात्रा है पुष्कर तक की।
तीन जून को थोड़ा देरी से निकले थे तो ज्यादा नहीं चल पाये। दोपहर में भामोद नाम की एक ग्रामीण जगह में एक चाय की दुकान पर प्रेमसागर रोटी-दाल-सब्जी के भोजन की तलाश कर रहे थे।

मुझे बताया – “बहुत भूख लगी थी भईया। पर दुकान वाले ने कहा कि उसके यहां तो चाय-समोसा ही मिलता है। आसपास भी कोई भोजनालय नहीं है। यह बात कोई सज्जन सुन रहे थे। वे उठ कर गये और बगल की दुकान पर बताया कि कोई साधू-पदयात्री भोजन की तलाश कर रहा है। तो भईया, ये रामेश्वर जी बात सुने और मेरे पास आ कर मुझे अपने घर ले आये। घर पर आदर से भोजन कराया। उन्ही के यहां फिर दो घण्टा सो भी गया मैं। जब चलने लगा तो रामेश्वर जी ने कहा कहा कि गर्मी बहुत है। आज यहीं रुक जायें। कल सवेरे निकल लीजियेगा। … भईया आज यहीं रुक रहा हूं। जगह का नाम है भामोद।”
मैंने नक्शे में भामोद नाम की जगह तलाशी। पंद्रह किलोमीटर चले होंगे प्रेमसागर। पर शायद विराटनगर और शक्तिपीठ के बीच घूमे होंगे तो कुल पैदल 24 किमी हुआ। इतनी दूरी तय करना कम नहीं है एक गर्मी के दिन में।
लेकिन अजीब पदयात्री है यह! भोजन का हिसाब नहीं। सवेरे आठ बजे निकलते समय विराटनगर में भोजन कर लेना चाहिये था। पैसे बचाने के फेर में पड़ा है क्या? पैसे पास में हैं भी या नहीं? वैसे अन्य जगहों की तुलना में राजस्थान में आतिथ्य-सत्कार तो बेहतर ही हो रहा है प्रेमसागर का। शायद लापरवाही है या अपने आप पर ज्यादा ही यकीन है।
रामेश्वर जी भले मानस हैं। चित्र में उनका भरापूरा परिवार दीखता है। लड़का सरकारी स्कूल में अध्यापक है। अच्छा हुआ उन्हें प्रेमसागर मिल गये और उन्हें अपने घर पर रोक लिया।
रात में प्रेमसागर की तबियत खराब हो गयी।
रात में प्रेमसागर की तबियत खराब हो गयी। “बुखार तेज हो गया भईया। ऐसा लगता था कि पूरा बदन टूट रहा है। रामेश्वर जी के घर वालों ने आम को उबाल कर उसके रस से शरीर में लेप किया। सवेरे कुछ बेहतर लगा।”
सवेरे आगे की यात्रा पर रामेश्वर जी के घर से निकल तो लिये प्रेमसागर पर तीन किलोमीटर बमुश्किल चल पाये। मुझे फोन पर बताया – “चला नहीं गया भईया। रामेश्वर जी के यहां से लोग आ रहे हैं। वे एक डाक्टर साहब को जानते हैं। उन्हें दिखाऊंगा और अभी आगे चला नहीं जायेगा। फरीदाबाद लौट कर एक सप्ताह आराम कर फिर आऊंगा यात्रा करने। तब तक शायद गर्मी भी कम हो जाये।”

उसके बाद प्रेमसागर से बात नहीं हुई। गूगल मैप पर मैं देखता रहा कि वे वापस यात्रा कर रहे हैं। मार्ग रेल लाइन का नहीं दिखता था। फिर वे आगरा में दिखे। मुझे लगा कि वहां से वे फरीदाबाद जायेंगे। पर यात्रा आगे जारी रही। गूगल मैप की एक सैम्पलिंग में मैंने उन्हें इटावा-सैफई के समीप देखा।
चार जून को दिन भर चलना हुआ। पांच जून को सवेरे बस्ती से गोरखपुर और देवरिया होते आगे बढ़ना देखा। प्रेमसागर ने पहले बताया था कि उनका पैत्रिक घर देवरिया है। शायद देवरिया जाना हो। पर तब दिन में इग्यारह बजे फोन आया। वे सलेमपुर से गुजर रहे थे। कार में यात्रा करते। बताया कि भामोद में डाक्टर साहब ने बताया था कि लू लग गयी है। रामेश्वर जी ने आगरा की बस में बिठा दिया था। “मैने सोचा आगरा से फरीदाबाद जाऊंगा भाई या बहन के यहां पर वहां बात की तो वे सब बड़ी बहन के यहां शादी में जीरादेई (सिवान के पास) जा रहे थे। उनके साथ मैंने भी यात्रा की। अब जीरादेई में दस दिन आराम करना होगा।”
लू लगने से बुखार में तपता आदमी 925 किमी की यात्रा करे बस और कार में! मेरे ख्याल से निहायत पागलपन है। पर पूरा भारत भ्रमण बिना संसाधन, महादेव के सहारे, पैदल करने वाला उन्हीं के गण जैसा ही तो होगा!
मौज करें प्रेमसागर। अब कभी मुझे सम्पर्क करेंगे, तब देखा जायेगा। उनकी शक्तिपीठ यात्रा के कुछ दिन के पैच – कुरुक्षेत्र से अम्बाला और अम्बाला से जालंधर की यात्रा का खण्ड लिखा नहीं गया है। वह 500-700 शब्द प्रतिदिन के हिसाब से लिख कर यह ट्रेवलॉग पूरा कर लूंगा। तब तक बारिश का मौसम भी आ जायेगा। मानसून इस बार देर से आ रहा है। हफ्ता भर देर से तो हो ही गया है। मानसून के चौमासे में प्रेमसागर यात्रा करेंगे या नहीं, वे जानें। मेरी पत्नीजी का कहना है कि और भी बहुत विषय हैं जिनपर लिखा कहा जा सकता है। मैं उनका अध्ययन करूंगा।
प्रेमसागर की यात्रा का यह प्रकरण लू लगने के बाद 1000किमी की बस-कार यात्रा से सम्पन्न होता है। ॐ मात्रे नम:! हर हर महादेव!
| प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
| दिन – 103 कुल किलोमीटर – 3121 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल। |
