रेल अधिकारी के सोशल नेटवर्किंग का सिरदर्द


फलाने जी का फोन – “जी आपके लिये मैं वो ढिमाकी वाली कालजयी पुस्तक की फोटो कॉपी भेज रहा हूं. मुझे लगा कि आप ही सुपात्र हैं उसे पढ़ने के. आउट ऑफ प्रिंट है, इसलिये फोटो करा कर भेज रहा हूं. 0420 एक्स्प्रेस के एसी कोच अटेण्डेण्ट के पास रखवा दी है. कलेक्ट कर लीजियेगा.”Continue reading “रेल अधिकारी के सोशल नेटवर्किंग का सिरदर्द”

चिठेरों को टिप्पणी-निपटान की जल्दी क्यों रहती है?


हिन्दी ब्लॉगर्स दनादन कमेंट करते है? कई बार आपको लगता है कि आप (चिठेरा) कह कुछ रहे हैं, पर टिपेरे (टिप्पणीकार) एक लाइन, एक बहुप्रचलित शब्द को चुनकर दन्न से टिप्पणी कर आगे बढ़ जाते हैं. आप का मन होता है कि आप फिर से एक स्पष्टीकरण लिखें. टिपेरों का पुन: आह्वान करें – हेContinue reading “चिठेरों को टिप्पणी-निपटान की जल्दी क्यों रहती है?”

एक चिठ्ठा गूगल को चुनौती के लिए चाहिए


बिजनेस वीक में “Is Google Too Powerful?“ के नाम से बड़ा रोचक लेख है। मैं तर्जुमा करने की स्थिति में अभी नहीं हूं। सो कृपया आप सीधा सोर्स से पढें। लेख का मतलब यह है कि गूगल्जान (Google+Amazon) 2014 तक इतना पावरफुल हो जाएगा कि दुनिया के आनलाइन नालेज बैंक (फुटकर लोगों की खबर, मनोरंजन,Continue reading “एक चिठ्ठा गूगल को चुनौती के लिए चाहिए”

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