ब्लॉगिंग की सीमायें


कहां रुके एक ब्लॉगर? मैं सोचता हूं, सो मैं पोस्ट बनाता हूं। सोच हमेशा ही पवित्र होती तो मैं ऋषि बन गया होता। सोचने में बहुत कूछ फिल्थ होता है। उच्छिष्ट! उसे कहने का भी मन नहीं होता, पोस्ट करने की बात दूर रही। जिस सोच के सम्प्रेषण का मन करे, वह बात पोस्ट बनानेContinue reading “ब्लॉगिंग की सीमायें”

पाठक बनाम अनियत प्रेक्षक (irregualar gazer/browser)


भाई साहब, माफ करें, आप जो कहते हैं ब्लॉग में, अपनी समझ नहीं आता। या तो आपकी हिन्दी क्लिष्ट है, या फिर हमारी समझदानी छोटी। – यह मेरे रेलवे के मित्र श्री मधुसूदन राव का फोन पर कथन है; मेरी कुछ ब्लॉग पोस्टों से जद्दोजहद करने के बाद। अदूनी (कुरनूल, रायलसीमा) से आने वाले रावContinue reading “पाठक बनाम अनियत प्रेक्षक (irregualar gazer/browser)”

साहस की ब्लॉगिंग


बेनामी ब्रैगिंग (bragging – डींग मारना) करते हैं। छद्म नामधारी बूंकते हैं विद्वता। कोई ऑब्स्क्योर व्यक्ति रविरतलामी को कहते हैं मरियल सा आदमी। साहस ही साहस पटा पड़ा है हिन्दी ब्लॉग जगत में। यह सियारों और कायरों की जमीन नहीं है। (हम जैसे जो हैं; वे) बेहतर है कि वे छोड़ जायें, बन्द कर लेंContinue reading “साहस की ब्लॉगिंग”

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