‘अहो रूपम – अहो ध्वनि’, चमगादड और हिन्दी के चिट्ठे


इंटरनेट की जाली पर कई अलग अलग समूहों मे अनेक प्रजातियों के चमगादड़ लटक रहे हैं. ये चमगादड़ तेजी से फल फूल रहे हैं. इनमें से एक प्रजाति हिंन्दी के चिट्ठाकारों की है. उनकी कालोनी का दर्शन मै पिछले दो दिनों से कर रहा हूं.

ये चमगादड़ बुद्धिमान टाइप के हैं. आपस में ‘अहो रूपम – अहो ध्वनि’ के आलाप के साथ अपनी, जो भी कमजोरियां हों, उनपर से ध्यान हटा रहे हैं. परस्पर प्रशंसा के साथ एक दूसरे की साइट पर क्लिक करने का खेल भी खेल रहे हैं. अपनी साइट कैसे चमकाई जाये कि वह ज्यादा क्लिक हो सके, उसके लिये एक दूसरे का माल चुरा कर अपने चिट्ठे पर चस्पां करने का रोग भी कुछ में है.

इंटरनेट पर दुकान जमाने में खर्चा नहीं लगता. ब्लॉग की फेसीलीटी ने सबको अवसर दे दिये हैं. बीएसएनल की मदद से ब्राडबेण्ड भी सस्ता हो गया है. सो हिन्दी के चिट्ठाकार चमगादडों की प्रजाति बागबाग हो कर फल फूल रही है. कल तक जो अखबार-पत्रिकाओं में छपास के लिये परेशान रहते थे, वे आज इंटरनेट पर फोकट में छप ले रहे हैं. अब छपास के स्थान पर रोग ‘पढ़ास’ का हो गया है. कितने लोग ब्लॉग पढ रहे हैं, यह नापने के लिये चिट्ठाकारों ने अपने ब्लॉग पर काउंटर भी चिपका रखे हैं.

ज्यादातर इस प्रजाति में फुटकर लेखन वाले ही हैं. ज्ञान-विज्ञान के एक हिन्दी ब्लॉग पर लेटेस्ट एंट्री 2005 की है. अर्थशास्त्र पर कोई गम्भीर चिट्ठा नहीं है हिन्दी में. हिन्दी जानने वाले के पास अगर अर्थशास्त्र की समझ है तो वह स्टाक मार्केट में पैसा बनायेगा या हिन्दी के यूनीकोड से जूझेगा? विषेशज्ञों के ब्लॉग हिन्दी में आने में शायद समय लगेगा. अभी तो ‘जनसत्ता’ के पतन के बाद ‘अजदक’ छाप अच्छे लेखन से वंचित लोगों को सहूलियत मिल गई है हिन्दी के चिट्ठों से. मजा आता है उसे पढने में.

गेदुरा (चमगादड) के मेहमान आये तो ज्यादा से ज्यादा वे भी एक डाल पकड कर लटक जायेंगे. आप भी एक ब्लॉग बनाइये और घुस जाइये गेदुरा की प्रजाति में. अपन तो गेस्ट आर्टिस्ट है. यदा कदा चिपकाते रहेंगे अपना चिट्ठा…


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

4 thoughts on “‘अहो रूपम – अहो ध्वनि’, चमगादड और हिन्दी के चिट्ठे

  1. jansatta ka patan kab hua hamein to pata hi nahin chala.kal tak to chhap raha tha, aur kal ki cover story bhi Azdak ki hi thi. khair…aapka swagat hai likhte rahein aap vividhata la rahein hindi blogging mein.

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  2. ज्ञानदत्त साहब; विरोध किसी को पचता नहीं तो “अहो रूपम अहो ध्वनि” का गान ही ठीक है ना?वैसे आपके लिये भी मेरे मन में अहो ध्वनि का भाव है.

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