इण्टेलेक्चुअल्स बड़े “डाइसी” पाठक होते हैं।


ढ़ेरों बुद्धिमान हैं जो दुनियां जहान का पढ़ते हैं। अलावी-मलावी तक के राष्ट्र कवियों से उनका उठना बैठना है। बड़ी अथारिटेटिव बात कर लेते हैं कि फलाने ने इतना अल्लम-गल्लम लिखा, फिर भी उसे फुकर प्राइज मिल गया जब कि उस ढ़िमाके ने तो काल जयी लिखा, फिर भी फुकर कमेटी में इस या उसContinue reading “इण्टेलेक्चुअल्स बड़े “डाइसी” पाठक होते हैं।”

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