जो भी है, बड़ी फैसिनेटिंग है!
प्री-पोस्ट त्वरित टिप्पणी –
कर दो पोस्ट। क्या फरक पड़ता है। तुम सब आधे दिमाग के लोग हो – रीता पाण्डेय।
(लिंकित पोस्ट पर जाने के लिये चित्र क्लिक करें)
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
सब समझदार होते तो यह दुनिया नीरस और बेरंग ही होती । पूरे दिमाग वाले लोग शादी भी नहीं करते ।जमाना हम (आधे दिमाग वालों) से ही है ।
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कहा गया है- जंह-जंह चरण पड़े संतन के , तंह-तंह बंटाधार। कल हमसे मुलाकात के बाद ही भाभीजी को यह ज्ञानप्राप्त हो गया कि ब्लागर आधे दिमाग वाले होते हैं। :)
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पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं. “प्री-पोस्ट त्वरित टिप्पणी” पर तो आधी टिप्पणी भी नहीं.
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लस्त, पस्त, पलस्त और त्रस्त. रूखी-सूखी बेजान कलुषित रसहीन एकाकी छद्म बुद्धिजीविता का परिणाम.वैसे भाभी जी की बात सौ फीसदी सही है.
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चलिये हमारे पास आधा तो है, लोग तो मानते है कि है ही नहीं. वरना कोई इतना सिरियसली ब्लॉगिंग कर सकता है?
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आधा दिमाग पोस्ट-लेखक का, आधा टिप्पणीकर्ताओं का, लो जी हो गया कोरम पूरा:)
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क्या बात है? रीता चाची से कभी मिला नहीं, कभी बात भी नहीं हुई.. मगर फिर भी उन्होंने मुझे पहचान लिया.. :D
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ये आधे दिमाग वाला जुमला काफी फिट बैठता लग रहा है :)आप सभी इस प्रश्न का जवाब सिर्फ हाँ या ना में दें।प्रश्न – क्या आप के घरवाले जानते हैं कि आप के पास आधा दिमाग है ?( जवाब सिर्फ हाँ या ना में होना चाहिये) – उत्तर में दोनो तरफ से आप ही फंसेंगे :)
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i am the first to commentdo visit on my post if u feel ok do commentyes i am suffering from same written by rita pandey jiregards
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\\\\\\\\\/////////[[[[[[[[[[[{{{{}}}}}]]]]]]]]xxxxxx :D :) :D :) :D :) :D :) टिप्पणी गुम जाएगी, लेख ये बदल जाएगा, मेरी की-स्ट्रोक ही पहचान हैगर याद रहे :)
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