मैं विफलता-सफलता की बात कर रहा था। सत्यम की वेब साइट, जो अब बड़ी कठिनाई से खुल रही थी (बहुत से झांकने का यत्न कर रहे होंगे), के मुख्य पन्ने पर बने विज्ञापन में एक छवि यूं है:
सफलता लक्ष्य/परिणाम पर सतत निगाह रखने का मसला है।
काश सत्यम ने यह किया होता।
सत्यम छाप काम बहुत सी कम्पनियां कर रही होंगी। और आस पास देखें तो बहुत से लोग व्यक्तिगत स्तर पर उस प्रकार के छद्म में लिप्त हैं। अन्तर केवल डिग्री या इण्टेंसिटी का है। मिडिल लेवल इण्टेंसिटी वाले “सत्यमाइज” होते हैं। बड़े पापी मार्केट लीडर हो जाते हैं। छोटे छद्म वालों को कोई नोटिस नहीं करता।
बाइबल की कथा अनुसार पतिता को पत्थर मारने को बहुत से तैयार हैं। पहला पत्थर वह मारे जो पाक-साफ हो!
सत्यम का शेयर ३९-४० रुपये पर बिक रहा है। खरीदने वाले तो हैं। सब पत्थर मार रहे हैं तो कौन खरीद रहा है?


सफलता-असफलता जैसी धारणाएं समय, स्थान और परिस्थितियों के सापेक्ष हैं। हर आदमी में अच्छाइयां और बुराइयां होती हैं, जो जीता वो सिकंदर। माला पहन कर घूम रहे हैं तो शरीफ, हथकड़ी लग गयी तो चोर। बिहार के चर्चित आईएएस अधिकारी गौतम गोस्वामी के निधन की खबर आपलोगों तक भी जरूर पहुंची होगी। जिस बाढ़ राहत के लिए प्रसिद्ध टाइम पत्रिका ने उन्हें यंग एशियन अचिवर अवार्ड से सम्मानित किया था, उसी बाढ़ राहत में उन्हें घोटाले में आरोपित किया गया तो वे एकाएक हीरो से विलेन बन गए। रामलिंगा राजू कल तक हीरो थे, आज जीरो….हो सकता है किसी दिन खबर पढ़ने को मिले कि वे देश के वित्तमंत्री बन गए हैं।
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सत्यम का जाना उतना परेशान नहीं करता जितना कि कई निवेशकों का पैसा डूबना या नए युवक युवतियों का कैरियर का डूब जाना |
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अजी यह सत्यम, यह राजू, यह सब तो भारत मै आम है, मुझे कोई हेरानगी नही होती, बस जो पकडा गया, वो थोडे दिन का चोर…. फ़िर थोडे दिनो बाद फ़िर से हीरो, फ़िर से नेता… राम राम
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खबर है कि भाव 10 रुपये तक आ गया है और शेयरों की सूची से बाहर कर दिया गया है। फुटपाथ पर, ढेरियों की शकल में मिलेगा-ऐसा लगता है।
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गुरुजी का गो वेण्ट गान तो ठीक है मगर राजु जैसे उद्योगपति और गुरुजी जैसो की खबर नही ली गयी तो इंडिया का गो वेन्ट गान हो जायेगा !!भैरिसिंह जी की टांग कमर मे लटकी है लेकिन प्रधानमंत्री बनने का लोभ से चित्त बंध गया है !
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राजू अब तक जेंन्टल था धर लिया गया चोर हो गया ..
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पतिता को पत्थर मारने को बहुत से तैयार हैं। पहला पत्थर वह मारे जो पाक-साफ हो! बहुत बहुत सही कहा………आज ऐसे व्यावसायिक घरानों की कमी नही,जिनके उद्योगसंस्थान दिवालिये हो जाते हैं और उनकी व्यक्तिगत संपत्ति का भण्डार अकूत होता है.यह अलग बात है कि ऐसे किस्से प्रकाश/मिडिया में नही आते.शिबू जी का क्या कहा जाए………
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आज का अगड़म – बगड़म हाटमहाट मसाला!!क्या खिचडी है ????एक तरफ़ राजू…….दूसरी ओर……..शेखावत…….और गुरु सोरेन का तडका!!!एक बार और सिद्धः हुआ कि नाम में क्या रखा है???
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जब तक चोरी पकडी न जाय, पाप नहीं होती :-) अब राजू बेचारे धर लिए गए !
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राजू की महत्वाकांक्षा ही ले डूबी है उसको और असंख्य निवेशकों को. जिस तरह का यह घोटाला है उसमे लोगो को किस लेवल तक मनेज किया गया होगा यह सोच सोच कर ही मेरा तो दिमाग चकरा रहा है. क्या अन्तरराष्ट्रिय ख्याति के आडीटर मेनेजेबल हैं? क्या इतना बडा केश रिजर्व बैन्कर्स ने कभी वेरिफ़ाई ही नही किया? ये तो कुछ बहुत नया सामने आयेगा , अगर इसी तरह की प्रेक्टिस है तो पता नही अभी भविष्य मे और कौन कौन नंगा होना बाकी है?रामराम.
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