अगले जनम मोहे कीजौ दरोगा


policemanमेरी पत्नी जी की सरकारी नौकरी विषयक पोस्ट पर डा. मनोज मिश्र जी ने महाकवि चच्चा जी की अस्सी साल पुरानी पंक्तियां प्रस्तुत कीं टिप्पणी में –

देश बरे की बुताय पिया – हरषाय हिया तुम होहु दरोगा। (नायिका कहती है; देश जल कर राख हो जाये या बुझे; मेरा हृदय तो प्रियतम तब हर्षित होगा, जब तुम दरोगा बनोगे!)

हाय! क्या मारक पंक्तियां हैं! ए रब; यह जनम तो कण्डम होग्या। अगले जनम मैनू जरूर-जरूर दरोगा बनाना तुसी!

मैने मनोज जी से चिरौरी की है कि महाकवि चच्चा से विस्तृत परिचय करायें। वह अगले जन्म के लिये हमारे दरोगाई-संकल्प को पुष्ट करेगा।  


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

29 thoughts on “अगले जनम मोहे कीजौ दरोगा

  1. प्रेमचंद के ‘नमक का दरोगा’ की तर्ज पर मासिक आय तो पूर्णमासी का चाँद होता है… और उपरी आय बहती गंगा की तरह है ! और दरोगा का रॉब ऊपर से और ! ओह हम दरोगा ना हुए :(

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  2. रेलवे वालो को यह कहना चाहिए-अगले जन्म में मुझे टीटीई करियोपुलिस में दारोगा से बड़ा कोई पद ना हैऔर रेलवे में टीटीई से बड़ी कोई पोस्ट ना है। कवि गच्चा की एक कविता सुनियेभैया मोरे मैं नहीं रिश्वत खायोअगल बगल पैसेंजर खड़े हैं, बरबस जेब घुसायोमैं टीटीई, सीटों का टोटाकेहि विधि सबको सिलटायोमालगाड़ी वारे सब बैर पड़े हैं, ऊपर शिकायत लगायोभैया मोरे मैं नहीं रिश्वत खायो

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  3. कमाई वाले इलाके में पोस्टींग नहीं चाहिये? दोनों साथ ही मांग लेते..:)

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  4. भाई ज्ञान जी,जब इच्छा हो ही गई है तो अगले जनम में ही क्यों, इसे जन्म में ही………. पत्नी कहना मन कर , अर्जी देओ लगाय दरोगाइन फिर गर्व से, इतराती मिल जाए हो सकता है फिर तो रोज़ ही मॉल-पुआ खाने को मिले…………………चन्द्र मोहन गुप्त

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  5. अच्छा है.. अगले जन्म में करियर को लेकर मैं पसोपेश में था. ज़ाहिर है ब्लॉगर तो बनना नहीं है.. :) .. अच्छा है आपने राह दिखा दी.. अभी से पंजीकरण करा लेते हैं..

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  6. शायद दूसरों की थाली मे घी ज्यादा दिख रहा है, साहब जी अपने तो इन्जिन ही ज्यादा अच्छा लगता है. आगे आपकी मर्जी. दरोगाई मे सै्लून नही बल्की पैदल भी घूमना पडता है, और आज शायद इछ्छापुर्ति दिवस भी है, जरा सोच समझकर इच्छा किजियेगा:)रामराम.

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