कहां से आता है निरापद लेखन?


सब विचार की देन है। निरापद विचार क्या होता है जी?

आइडिया अगर अन्दर से आते हैं तो वे ब्लॉग का मसाला नहीं बन सकते। वे आपको महान ऋषि बना सकते हैं। शुष्क और महान। पर वे आपके ब्लॉग को चौपाल नहीं बना सकते।

ब्लॉग के मसाले के लिये आपको बाहर देखना ही पड़ता है। आपको चीजों, लोगों, घटनाओं, व्यापक समस्याओं, व्यापक खुशी और गम को लिंक करना ही पड़ता है।

आपको व्याप्त चिरकुटई, अच्छाई, नैरो माइण्डेडनेस, उदात्तता, दादागिरी, सदैव नॉन-सीरियस (?) फुरसतियात्मक मौज लेने की प्रवृत्ति — यह सब ऑब्जर्व करने और उनपर विचार व्यक्त करने ही होते हैं। अन्यथा लिखते रहें गौरैय्या पर गीत।

मैं जान-समझ रहा हूं कि आप अगर अपने विचारों को अभिव्यक्त कर रहे हैं तो धमकात्मक स्नेह – अनसॉलिसिटेड सलाह से अछूता नहीं रख सकते अपने को। आप खतरा सन्निकट भांप कर कछुये की तरह अपने को खोल में सिकोड़ सकते हैं। पर अन्तत: कछुआ अपने पैर पसारता है और सभी कर्म करता है। मुझे बताया गया है कि कछुआ दीर्घजीवी है। आप भी दीर्घजीवी हैं।

श्रीमन्त, आपको इस विश्व से आइडिया और इन्स्पिरेशन लेने हैं। लगाम आपको अपने हाथ में रखनी है और खुद को बेलगाम नहीं करना है, बस!

भद्रजन, आप इस जगत को अपने विचार, लेखन, सर्जनात्मकता, गम्भीरता, सटायर या गम्भीर-सटायर से निरापद करें।

आप ठेलें मित्र!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

36 thoughts on “कहां से आता है निरापद लेखन?

  1. Pandey ji, your writing is adhyatmik (sahaj swbhaav) which is reward in itself. It was also intersting that you understand abstract words like Rishi which have no substitute word/concept in other languages. mera sadar pranaam.

    Like

  2. बहुमूल्य सलाह के लिए धन्यवाद.कल आप के दूसरे ब्लॉग पर १००%'निरापद 'लेखन वाली पोस्ट भी पढ़ी..समझ नहीं आया कि 'निरापद 'का अर्थ क्या है?

    Like

  3. अरे कौन यहाँ गंभीर चिंतन करता है तो निरापद ही हैं वैसे आपकी सलाह बढिया है ।आपको इस विश्व से आइडिया और इन्स्पिरेशन लेने हैं। लगाम आपको अपने हाथ में रखनी है और खुद को बेलगाम नहीं करना है, बस!

    Like

  4. नमस्कार,आप की बात एकदम सही है….आप का ब्लाग अच्छा लगा…बहुत बहुत बधाई….एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में…जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा….रचना अच्छी लगी….

    Like

Leave a reply to अभिषेक ओझा Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started