बिल्ला, जोला और कल्लू


सिद्धार्थ और हम गये थे गंगा तट पर। साथ में उनका बेटा। वहां पंहुचते रात घिर आई थी। आज वर्षा का दिन था, पर शाम को केवल बादल क्षितिज पर थे। बिजली जरूर चमक रही थी।

बिल्ला, जोला और कल्लूBilla Jola Kallu

मछेरा समेटे जाल के साथFisherman Net

गंगा माई बढ़ी नहीं हैं पहले से। अंधेरे में मछेरे जाल डाले थे। उनके तीन बच्चे फोटो खिंचाने बढ़ आये। नाम थे बिल्ला, जोला और कल्लू। बड़े प्रसन्न थे कि उनकी फोटो आ गयी है कैमरे में। कल्लू फोटो स्क्रीन पर देख कर बता रहा था – “ई बिल्ला है, बीच में जोला और हम”।

हम का नाम?

हम कल्लू!

Siddarth Satyarthसिद्धार्थ अपने पुत्र सत्यार्थ के साथ

तुम लोग मछलियों पर दया नहीं करते? मेरी पत्नीजी ने पूछा।

“दया काहे, दया करें तो बेचेंगे क्या।” – कल्लू ने जवाब दिया। इतने में मछेरा जाल समेट वापस आ गया था।

मेरी पत्नी छटपटाती मछलियों की कल्पना कर दूर हट गई थीं। 

सिद्धार्थ अपने पुत्र सत्यार्थ को गोद में उठा कर तट पर पंहुचे थे। पर वापसी में सत्यार्थ को जोश आ गया। वह पैदल वापस आया और शिवकुटी के पास सीढ़ियां भी अपने पैरों चढ़ा!

गंगा किनारे की छोटी सी बात और उसे लिखने का मन करता है! यह घटना शाम सवा सात बजे की है। पोस्ट हो रही है रात आठ बजे।

जय गंगा माई!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

26 thoughts on “बिल्ला, जोला और कल्लू

  1. तुम लोग मछलियों पर दया नहीं करते? मेरी पत्नीजी ने पूछा।“दया काहे, दया करें तो बेचेंगे क्या।” – कल्लू ने जवाब दिया। हमतो आगे की वार्ता के इंतज़ार में कब से गंगा किनारे बैठे हैं.

    Like

  2. आप की पोस्टो को पढ कर अपना मन भी ऐसी जगहों पर जाने का कर रहा है….वैसे तो कुछ सुखानुभूति तो आप की पोस्ट पढ कर महसूस होती ही है..आभार।

    Like

  3. @ तुम लोग मछलियों पर दया नहीं करते? मेरी पत्नीजी ने पूछा।“दया काहे, दया करें तो बेचेंगे क्या।” इस तरह का 'हार्ड कोर डिसिजन मेकिंग' तो बडे बडे Managerial गुरूओं को धराशाई कर दे। आज ही '12 Angry Men' फिल्म देखी । डिसिजन मेकिंग का उदाहरण देने के लिये अब 12 Angry Men को कई जगह MBA की वर्कशॉप में पढाया जाने लगा है। मेरे हिसाब से एक और कन्टेंट जोडा जा सकता है इन Managerial कोर्सों में – गंगा किनारे भ्रमण, जहां पर एक से एक कोर कन्टेंट मिल रहे हैं सीखने के लिये, जानने के लिये। बहुत रोचक और सारगर्भित पोस्ट।

    Like

  4. वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

    Like

  5. अब आप लोग मिल जुल कर कौनो खेल जरूर खेल रहे हैं का बनर्सौ का गंगा मैया क उहीं लई जाई का कौनो प्लानिंग बनत बा का आखिर ? यी माजरा का है ? सब उहीं गंगा तट पर पहुँचत जात बाटें ! मछलिया देखे होतेन तईं तो कुछ पहचानते ! बस टिलैपिया होए और का ! इस पर क्लिक कीजिए

    Like

Leave a reply to सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started