मुझे लगता है कि फीड एग्रेगेटर के बारे में जो पोस्टों में व्यग्रता व्यक्त की जा रही है, उसका बेहतर डिस्कशन ट्विटर पर हो सकता है। एक सौ चालीस अक्षरों की सीमा में।
मेरा ट्विटर पर पूछना है – “हिन्दी ब्लॉगिंग में फीड एग्रेगेटर सहायक कम हैं और घर्षण अधिक उत्पन्न करते हैं।” – आपका क्या विचार है। 140 शब्दों में।
नारद के समय व्यर्थ विवाद देखा। ब्लॉगवाणी के विषय में भी कोई बड़े सिद्धान्त की बात नहीं, केवल तकनीकी तरीके को ले कर आशंकायें थीं। अभी लोग “पसंद” को ले कर हलकान हैं लिहाजा उसके बारे में विवाद बना। कल अपनी रेंक को ले कर लोग तड़फने लगेंगे तो चिठ्ठाजगत के सक्रियता तय करने वाले “गोपनीय सूत्र” को लेकर चिल्ल-पुकार मचा सकते हैं। कोई अन्त नहीं!
खैर, ट्विटर पर प्रतिक्रिया देने का यत्न कीजिये।