मेरी गली में कल रात लोगों ने दिये जला रखे थे। ध्यान गया कि एकादशी है – देव दीपावली। देवता जग गये हैं। अब शादी-शुभ कर्म प्रारम्भ होंगे। आज वाराणसी में होता तो घाटों पर भव्य जगमहाहट देखता। यहां तो घाट पर गंगाजी अकेले चुप चाप बह रही थीं। मैं और मेरी पत्नीजी भर थेContinue reading “देव दीपावली @”
Monthly Archives: Oct 2009
हाँकोगे तो हाँफोगे
विवाह के तुरन्त बाद ही मुझे एक विशेष सलाह दी गयी: ’हाँकोगे तो हाँफोगे’ गूढ़ मन्त्र समझ में आने में समय लगता है| हर बार विचार करने में एक नया आयाम सामने आता है। कुछ मन्त्र तो सिद्ध करने में जीवन निकल जाते हैं। यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है। प्रवीणContinue reading “हाँकोगे तो हाँफोगे”
सोंइस होने की गवाही
निषादघाट पर वे चार बैठे थे। मैने पहचाना कि उनमें से आखिरी छोर पर अवधेश हैं। अवधेश से पूछा – डाल्फिन देखी है? सोंइस। उत्तर मिला – नाहीं, आज नाहीं देखानि (नहीं आज नहीं दिखी)। लेकिन दिखती है? हां कालि रही (हां, कल थी)। यह मेरे लिये सनसनी की बात थी। कन्फर्म करने के लियेContinue reading “सोंइस होने की गवाही”
जवाहिरलाल बीमार है
जवाहिरलाल गंगदरबारी(बतर्ज रागदरबारी) चरित्र है। कछार में उन्मुक्त घूमता। सवेरे वहीं निपटान कर वैतरणी नाले के अनिर्मल जल से हस्तप्रक्षालन करता, उसके बाद एक मुखारी तोड़ पण्डाजी के बगल में देर तक मुंह में कूंचता और बीच बीच में बीड़ी सुलगा कर इण्टरवल लेता वह अपने तरह का अनूठा इन्सान है। कुत्तों और बकरियों काContinue reading “जवाहिरलाल बीमार है”
शिवकुटी घाट पर छठ
आज ब्लॉगरी के सेमीनार से लौटा तो पत्नीजी गंगा किनारे ले गयीं छठ का मनाया जाना देखने। और क्या मनमोहक दृष्य थे, यद्यपि पूजा समाप्त हो गयी थी और लोग लौटने लगे थे। चित्र देखिये: तट का विहंगम दृष्य: घाट पर कीर्तन करती स्त्रियां: घाट पर पूजा: सूप में पूजा सामग्री: लौटते लोग:
अवधेश और चिरंजीलाल
मैं उनकी देशज भाषा समझ रहा था, पर उनका हास्य मेरे पल्ले नहीं पड़ रहा था। पास के केवट थे वे। सवेरे के निपटान के बाद गंगा किनारे बैठे सुरती दबा रहे थे होठ के नीचे। निषादघाट पर एक किनारे बंधी नाव के पास बैठे थे। यह नाव माल्या प्वाइण्ट से देशी शराब ट्रांसपोर्ट काContinue reading “अवधेश और चिरंजीलाल”