भोपाल त्रासदी गुजर गई। वह किसी अन्य रूप में पुन: सम्भव है। ऐसी ही एक घटना सन २०१८ में घटी। उसके विषय में प्रवीण पाण्डेय के ब्लॉग पर उनकी पोस्ट त्रासदियां में पढ़ें।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
भोपाल त्रासदी गुजर गई। वह किसी अन्य रूप में पुन: सम्भव है। ऐसी ही एक घटना सन २०१८ में घटी। उसके विषय में प्रवीण पाण्डेय के ब्लॉग पर उनकी पोस्ट त्रासदियां में पढ़ें।