परसों प्राप्त ई-मेल से श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ जी के स्वास्थ्य के विषय में पता चला:
इस लंबी अवधि की चुप्पी के लिए क्षमा चाहता हूँ।
कई महीनों से ब्लॉग जगत से दूर रहा था। जाल जगत से भी संपर्क सीमित था।
व्यवसाय संबन्धी कठिनाइयों के कारण और स्वास्थ्य अचानक बिगडने के कारण कई अच्छे मित्रों से भी ई मेल संपर्क टूट गया था।
अप्रैल महीने में अचानक मेरा स्वास्थ्य बिगड गया था।
सुबह सुबह रोज़ कम से कम एक घंटे तक टहलना मेरी सालों की आदत थी।
उस दिन अचानक टहलते समय छाती में अजीब सा दर्द हुआ।
कार्डियॉलोजिस्ट के पास गया था और ट्रेड मिल टेस्ट से पता चला कि कुछ गड़बडी है।
एन्जियोग्राम करवाया, डॉक्टर ने। पता चला की दो जगह ९९% ओर ८०% का ब्लॉकेज है।
डॉक्टर ने कहा कि हार्ट अटैक से बाल बाल बचा हूँ और किसी भी समय यह अटैक हो सकता है।
तुरन्त एन्जियोप्लास्टी हुई और तीन दिन के बाद मैं घर वापस आ गया पर उसके बाद खाने पीने पर काफ़ी रोक लगी है।
बेंगळूरु में अपोल्लो होस्पिटल में मेरा इलाज हुआ था और साढे तीन लाख का खर्च हुआ।
सौभाग्यवश मेरा इन्श्योरेंस "अप टु डेट" था और तीन लाख का खर्च इन्श्योरेंस कंपनी ने उठाया था।
व्यवसाय से दो महीनों तक अलग रहा और इस बीच अमरीका में बसे अपनी बेटी का दबाव डालने पर, सब कुछ छोड़कर उसके पास (कैलिफ़ॉर्निया) पत्नी के साथ चला गया था और सब कुछ भूलकर आराम से कुछ दिन रहकर अब वापस आ गया हूँ।
धीरे-धीरे जीवन सामान्य होता जा रहा है और अपने पुराने शौक का मज़ा लेने लगा हूँ।
अब चिंता की कोई बात नहीं है। बस मेरी पुरानी खाने पीने की आदतों को भूलकर एक नया लाईफ़-स्टाइल शुरू कर रहा हूँ।
यह मेरा पहला मौका था अमरीका जाने का। सोच रहा हूँ अपने अनुभवों के बारे में कुछ लिखूँ और आपके के ब्लॉग पर अतिथि पोस्ट के रूप में भेजूँ। आशा करता हूँ कि आप अब भी इन पोस्टों का स्वागत करेंगे और अपने ब्लॉग पर स्थान देंगे।
आपका ब्लॉग फ़िरसे पढ़ने लगा हूँ और पहले जैसे टिप्पणी करना चाहा पर लगता है कि टिप्पणियाँ वर्जित हैं।
आप चाहें तो इस पत्र को अपने ब्लॉग पर छाप सकते हैं।
अन्य सभी ब्लॉग जगत के मित्रों को मेरा नमस्कार।
जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
श्री विश्वनाथ मेरे ब्लॉग के प्रमुख पाठक और अतिथि पोस्ट लेखक रहे हैं। अब पुन: सक्रिय होंगे, बहुत स्वागत!
उनके स्वास्थ्य के लिये ईश्वर को बहुत धन्यवाद और बहुत शुभ कामनायें।
यह एक ऐसी पोस्ट है, जिसपर मैं आपकी टिप्पणियों का स्वागत करता हूं – भले टिप्पणी प्रबन्धन के लिये मुझे कम्प्यूटर के समीप रहना पड़े!

ईश्वरीय प्रेरणा से मंदिर के द्वार अब खुल गये हैं तो अब बंद न हों -नव ऊर्जित विश्वनाथ जी के पुनरागमन पर उनका स्वागत और अभिनन्दन !
LikeLike
ज्ञान जी और विश्वनाथ जो दोनों को शुभकामनाएँ .टिप्पणी प्रबंधन के लिए हर वक्त कम्प्युटर के पास बैठना जरूरी नहीं
LikeLike
सभी मित्रों को हार्दिक धन्यवाद।मेरा स्वास्थ्य अब बिल्कुल ठीक है।जल्द ही ब्लॉग जगत में पुन: सक्रिय हो जाऊँगा।अम्रीका के कुछ अनुभव के बारे में लिखने का इरादा है।कुछ ही दिनों में पहला किस्त ज्ञानजी को भेज दूँगा।मेरा पत्र छापने के लिए और टिप्पणी पेटी फ़िरसे खोलने के लिए ज्ञानजी को धन्यवाद देता हूँ।जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
LikeLike
बड़ी प्रसन्नता है कि विश्वनाथ जी स्वस्थ हैं। अब आलस्य त्याग कर मैं आपके घर शीघ्र ही आने वाला हूँ स्वास्थ्य लाभ का कामना व प्रार्थना करने।ज्ञानदत्तजी भी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करें और टिप्पणी-द्वार सदा के लिये खोल दें।
LikeLike
विश्वनाथ जी पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे, यह हमारा विश्वास है। इस पोस्ट ने यहाँ टिप्पणी बक्से का ताला खुलवा दिया इसलिए हम और अधिक प्रसन्न हो गये। ज्ञानजी को ब्लॉगरी की लत अब छोड़ने वाली नहीं है। हम इससे आह्लादित हैं।
LikeLike
विश्वनाथ जी और ज्ञान जी दोनों को ही शुभकामनाएं.
LikeLike
ज्ञान जी: आशा है आप पूर्ण स्वस्थ होंगे. अनेक शुभकामनाएँ.
LikeLike
विश्वनाथ जी के इस पत्र के साथ ब्लाग जगत को आप से भी पुनसाक्षात्कार का अवसर प्राप्त हुआ। निश्चय ही आज का दिन अच्छा है।
LikeLike
अच्छा लगा विश्वनाथ जी को वापस अपने बीच पा कर…अब ब्लॉकेज की साफ सफाई हो गई..एक नई उर्जा के साथ शुरु हो जाईये.आप अमरीका तक आये और हमें खबर भी न हुई वरना फोन से तो बात हो ही जाती.इन्तजार रहेगा आपके अनुभवों को जानने का.॒ ज्ञान जी: आशा है आप पूर्ण स्वस्थ होंगे. अनेक शुभकामनाएँ.
LikeLike
हार्दिक शुभकामनायें! प्रसन्नता हुई कि समय पर पता लगा, उपचार हुआ और बीमा अप्डेट रहने का लाभ भी मिला. अमेरिका के आपके अनुभवों से सभी पाठकों को लाभ ही होगा इसलिये शुभस्य शीघ्रम।
LikeLike