अनुराग जी ने मेरी पिछली पोस्ट के मद्देनजर मुझे गांधी टोपी पहना दी, ई-मेल से!
भला मैं पहनने से इंकार कैसे कर सकता हूं – भले ही यह टोपी थोड़ी तिरछी लग रही है। 😆

मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
अनुराग जी ने मेरी पिछली पोस्ट के मद्देनजर मुझे गांधी टोपी पहना दी, ई-मेल से!
भला मैं पहनने से इंकार कैसे कर सकता हूं – भले ही यह टोपी थोड़ी तिरछी लग रही है। 😆
अब बैठ भी जाईये अनशन पर…इतना जंच जो रहे हैं…भीड़ तो जुटबे करेगी.
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