1. बुखार में लेटे लेटे पीठ अकड़ गई है। बाहरी जगत से सम्पर्क ही नहीं। पुस्तकें पढ़ने को भी जो लम्बी एकाग्रता चाहिये, नहीं बन पा रही। कमरे की यह लम्बोतरी खिडकी से यदा कदा झांक लेता हूं। शीशम, सागवान और ताड़ के लम्बे लम्बे वृक्ष दिखते हैं। रमबगिया है यह। उसके पार हैं गंगा नदी। रात में ताड़ के फल गद्द से जमीन पर गिरते हैं। या रमबगिया में सियारों के चलने की खरखराहट की आवाज आती है जमीन पर बिखरी पत्तियों पर!

2. पास में ही शिव जी का पौराणिक महत्व का मन्दिर है। दिन भर तो अपने भदेस भक्तों का गुड़, चना, दही, दूध (पर्याप्त पतला) अर्पण लेते लेते और सस्तौआ अगर बती की रासायनिक धूम्र सूंघते सूंघते जब नीलकण्ठ महादेव उकताते होंगे तो इस रमबगिया में चले आते होंगे – अपने भूत पिशाच, अघोरी गणों के साथ। एक दो चिलम के राउण्ड के बाद जब उन्मत्त नटराज नृत्य करते होंगे तो अलौकिक होता होगा वह! उनके डमरू की आवाज नहीं सुनी। पर वह सुनने के लिये महादेव शिव का विशेष आशीर्वाद चाहिये। वह कहां है मुझे! :-(
3. मैं कयास लगाता हूं कि मेरी शिवकुटी के नशेड़ी जरूर उनकी संगत पाते होंगे। पर पत्नीजी बताती हैं कि यहां कोई गंजेड़ी तो है नहीं। फलाने, फलाने और फलाने हैं। पर वे तो मात्र कच्ची शराब की पन्नी सेवन करने वाले हैं। शिव-संगत-कृपा लायक कोई नहीं है! … कभी रात में रमबगिया में यूंही चले जाना चाहिये। नीलकण्ठ के गणों से भय तो नहीं है, पर उन्होने चिलम मेरी तरफ बढ़ा दी, तो क्या होगा? शायद न भी करें – कार्तिकेय या गणपति को तो कभी उन्होने चिलम के लिये बाध्य नहीं किया, मुझे क्यों करेंगे।
4. ओह, मन में चल बहुत रहा है। पर बुखार में कम्प्यूटर के सामने ज्यादा बैठने की क्षमता नहीं है अभी! हर हर महादेव!

आप शीघ्र स्वस्थ हों
और गंगा माई के हालचाल अपनी पोस्ट में लिखें
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हर हर महादेव! बम बम भोले!
जल्दी स्वस्थ होइये!
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oh to shanka sahi hua………..aap bimar hain………swasthlabh karen…………yse aapko balak
‘fursatiya’ aur ‘chithhacharcha’ pe dhoondh raha tha…………..
har-har mahadev…………..
pranam.
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मैं सोच रहा था आपसे किसी दिन बात की जाय. आप जल्दी से ठीक हों. फिर किसी दिन फोन करता हूँ.
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बोल बम लगे दम …………अलख निरंजन
गेट वेल सून
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सावन बीतने के बाद भी हर-हर महादेव ?
भोले भंडारी तो अपनी एक्स्टेंडेड भक्ति से बहुत खुश हो जाएंगे।
हम उनसे गुरुदेव के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं।
जय हो।
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आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं…
हर हर महादेव!
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पालागी गुरुवर ..उम्मीद है यह लेखन कम से कम दो खुराक दवाई का काम करेगा |
भोले भंडारी से आप के तवरित स्वास्थ लाभ की कामना करते है | गिरीश
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ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई पीपल का पेड़, मंदिर आदि हो और वहां कोई गंजेड़ी न हो। एक साक्षात गंजहा टाइप बंदा तो वही जवाहिरलाल ही है जो संभवत: रागदरबारी के गंजहे कैरेक्टर सनीचरा को साकार कर रहा है :)
और ध्यान देंगे तो बैद्य जी भी वहीं कहीं दिखेंगे – रागदरबारी की तर्ज पर कहते – हे शिव रामाधीन भीखमखेड़वी को मारो, मैनेजरी का चुनाव जीत गया उसको मारो, तुम मुझ सेवक के सेवर सनीचर को प्रधान के पद पर चयनित करो…..शत्रुपक्ष ने उसके विरूद्ध चुनाव याचिका दी है यदि वह अपनी याचिका वापस न ले तो उसको मारो :)
तबीयत कुछ अच्छी हो जाय तो रागदरबारी के चड्ढी पहने सनीचरायन को फिर से पढ़ें, ऐसे कैरेक्टरों को पढ़ते ही तबियत खिल जाती है :)
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामना।
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जवाहिर लाल पर बहुत सोच विचार कर उसे गांजा सेवन से दूर पाया। कछार की कच्ची शराब पीने वाला जीव है वह। उसकी आंखों का रंग और भंगिमा गंजेड़ी जैसे नहीं लगते।
फिर भी, अगर शिवकुटी या जवाहिरलाल पर किताब लिखनी हो तो यह शोध करना ही होगा कि उसने गांजा के साथ कौनसे और कब प्रयोग किये!
जवाहिरलाल के चरित्र में कॉमेडी है, भावुकता है और (जो ज्ञात नहीं); कहीं गहरे में त्रासदी भी है! इसी लिये वह सशक्त पात्र है।
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हम्म बुखार है पंडित जी को, ऐसे बेतरतीब ख्याल तो आयेंगे ही न..
ठीक हो जाएये,
जवाहरी उदास है :)
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आप शीघ्र ही स्वास्थ्यलाभ करें। ज्वर में विचार अनियन्त्रित बहते हैं।
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