अलाव, जवाहिर और आठ बिगहा खेत


मैं कुहासे और काम के बोझ में सवेरे की सैर पर जाने वाला नहीं था, पर लगता है गंगामाई ने आमन्त्रण देते कहा कि तनी आवा, बहुत दिन्ना भये चक्कर नाहीं लगावत हय (जरा आओ, बहुत दिन से चक्कर नहीं लगा रहे हो)। और गया तो कुछ न कुछ बदलाव तो पाया ही। गंगाजी लगभग पचीसContinue reading “अलाव, जवाहिर और आठ बिगहा खेत”

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