बिसखोपड़ा

बिसखोपड़ा पकड़ने वाला सपेरा - अछैबर!
बिसखोपड़ा पकड़ने वाला सपेरा – अछैबर!

शिवकुटी जैसी गँहरी (गँवई + शहरी) बस्ती में घुस आया तो वह बिसखोपड़ा था। नहीं तो सुसंस्कृत विषखोपड़ा होता या फिर अपने किसी अंग्रेजी या बायोलॉजिकल नाम से जाना जाता।

मेरी पत्नीजी वाशिंग मशीन से कपड़े धो रही थीं तो परनाले की पाइप से एक पूंछ सा कुछ हिलता देखा उन्होने। सोचा कि सांप आ गया है। उसकी पूंछ को चिमटे से पकड़ कर खींचने का प्रयास किया गया तो लगा कि कोई पतला जीव नहीं है। मोटा सांप होगा या अजगर का बच्चा। वह पाइप में अपनी पूंछ सिकोड़ आगे निकलने का प्रयास कर रहा था – मानव अतिक्रमण से बचने के लिये।

बड़े सांप/अजगर के कल्पना कर घर के भृत्य ऋषि कुमार को दौड़ाया गया गड़रिया के पुरवा। मोतीलाल इन्जीनियरिंग कॉलेज के पास रेलवे फाटक पर है गांव गड़रिया का पुरवा। वहां संपेरों के सात आठ घर हैं। पता चला कि सारे संपेरे अपने जीव-जन्तु ले कर कुम्भ मेला क्षेत्र में गये हैं जीविका कमाने। एक बूढ़ा और बीमार अछैबर भर है। उसी को ले कर आया गया।

उसके सामने परनाले का पाइप तोड़ा गया। पाइप में चिपका दिखा बिसखोपड़ा। लगभग डेढ़ हाथ लम्बा। पाइप से चिपका हुआ था। बिसखोपड़ा की मुण्डी पकड़ कर काबू करने में अछैबर को मुश्किल से कुछ सेकेण्ड लगे होंगे। उसके बाद ड्रामा शुरू हुआ।

अछैबर द्वारा पकड़ा गया डेढ़ हांथ लम्बा विषखोपड़ा।
अछैबर द्वारा पकड़ा गया डेढ़ हांथ लम्बा विषखोपड़ा।

सपेरे ने जीव के खतरनाक होने का विवरण बुनना प्रारम्भ किया। ’बड़ा जहरीला होता है। लपक कर काटता है। काटा आदमी लहर भी नहीं देता। समझो कि जान पर खेल कर पकड़ा है मैने। मेहनताने में इग्यारह सौ से कम नहीं लूंगा। धरो इग्यारह सौ तो मन्तर फूंक कर बोरा में काबू करूं इसे’।

आस पड़ोस वाले भी देखने के लिये आ गये थे। अमन की माई ने अकेले में कहा कि ये दो ढाई सौ से कम में मानेगा नहीं। गब्बर की माई ने निरीक्षण कर स्वीकार किया कि बहुत खतरनाक है ये बिसखोपड़ा। मेरे पिताजी ने कहा कि पैसा क्या देना। गांव में तो ऐसे ही पकड़ते हैं। इसे एक अंजुरी चावल दे दो।

अछैबर ने चावल लेने का प्रोपोजल तो समरी ली रिजेक्ट कर दिया। बिसखोपड़े की खूंखारियत का पुन: वर्णन किया। बार्गेनिंग में (पड़ोस के यादव जी की सलाह पर) उसे इग्यारह सौ की बजाय पचास रुपये दिये गये, जो उसने अस्वीकार कर दिये। अन्तत: उसे सौ रुपये दिये गये तो अछैबर संतुष्ट भया। फिर वह बोला – अच्छा, ऊ चऊरवा भी दई दिया जाये! (अच्छा, वह चावल भी दे दिया जाये)।

सौ रुपये और लगभग तीन पाव चावल पर वह बिसखोपड़ा पकडाया। अछैबर ने कहा कि बिसखोपड़ा को वह छोड़ देगा। पता नहीं क्या करेगा? या उसको भी मेला क्षेत्र में दिखा कर पैसा कमायेगा? एक बोरी में पकड़ कर ले गया वह बिसखोपड़े को। बोरी और रस्सी भी हमारी ले गया अछैबर।

सौ रुपये और तीन पाव चावल में हमें विषखोपड़ा का चित्र मिल गया। उसपर एक वाटरमार्क लगा दिया जाये?!

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

15 thoughts on “बिसखोपड़ा

  1. वाह, विष… ना ना बिसखोपडा की कहानी तो आपको मिली ही फोटो भी और सब कुल सौ रुपयो और तीन पाव चावल में । सौदा सही रहा, बाकी भाव ताव सही किया आपने ११०० के ११ हटा ही दिये ।

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  2. मैं आपकी उन तमाम पोस्टों से आहत होता आया हूँ जिनमें विज्ञान की गलत जानकारी का संचार होता है -बौद्धिकता का यह तकाजा होता है कि अगर खुद को कोई जानकारी न हो तो सम्बन्धित से जानकारी कर ली जाय -हम विज्ञान पत्रकारिता और विज्ञान ब्लागिंग में भी यही सब सिख पढ़ा रहे हैं -आपकी एक पोस्ट से विज्ञान संचार का कितना अहित हो सकता है आप इसका आकलन काश कर पाते –
    यह मगरगोह है -और इसके ही छोटे बच्चों को अज्ञानता के कारण लोग विष खोपडा या बितनुआ आदि कह देते हैं . यह बिलकुल विषहीन और निरीह सा प्राणी हैं -हाँ इसी का प्रयोग शिवा जी किलों पर चढ़ने के लिए करते थे ऐसे विवरण हैं क्योकि इनकी पकड़ बड़ी मजबूत होती है ! काश हमारे यहाँ प्रकृति और पशु पक्षियों के बारेम में ज्ञान का इतना अभाव न होता -यह तो बहुत ही चिंतनीय स्थिति है :-(

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    1. पंकज अवधिया जी की फेसबुक पर टिप्पणी –
      It is poisonous and its bite results in non-healing wound which may kill the victims after long illness. Here is Wiki link for this monitor lizard. It is endangered species and it is always good to approach to the forest department for capture and re-release in forest. Local snake charmers kill it for meat as it is considered as aphrodisiac and there is high demand of its skin in International market. Its trading is banned though. http://en.wikipedia.org/wiki/Desert_Monitor

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  3. दैनन्दिन जीवन में ऐसी छोटी-छोटी कितनी ही घटनाऍं होती रहती हैं जिन्‍हें हम अनदेखा करते हैं । उनकी रोचकता और महत्‍व का अनुभव ऐसे विवरणों से ही हो पाता है।

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  4. यह तो मल्टीमोडल तरह का सौदा हुआ, सौ रुपया, चावल, बोरा, रस्सी डेबिट में और ब्लॉग लायक कहानी और फोटो क्रेडिट में।

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  5. बिचारा विष खोपडा …अछैवर का कुछ ना बिगाड़ पाया !
    और जो हुआ सो हुआ
    बोरी और रस्सी मुफ्त में गयी
    वह भी आपकी आँखों के आमने !
    शुभकामनायें भाई जी !

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