
वे वृद्ध नेता हैं पूर्वोत्तर रेलवे की मजदूर यूनियन के। रेल का उपभोक्ता पखवाड़ा मनाने का समय था। अनेकानेक कार्यक्रम हुये। रेलवे की मान्यताप्राप्त यूनियनों के नेताओं को; सन्देश कर्मचारियों और जनता तक फैलाने के लिये; ब्राण्ड-अम्बेसडर घोषित किया गया। उस आधार पर ये वयोवृद्ध नेता – श्री कन्हैयालाल गुप्ता – पूर्वोत्तर रेलवे के ब्राण्ड-अम्बेसडर थे।
पखवाड़े के समापन समारोह में गुप्ता जी गोरखपुर स्टेशन परिसर में वृक्ष लगा रहे थे। मैने उनका चित्र लिया। जब वे पौधे को रोप कर पानी पिला चुके, तब मैने उनकी उम्र और उनकी ऊर्जा का रहस्य पूछा। दोनो प्रश्न वे हंस कर टाल गये।

मैने गुप्ता जी को छोड़ा नहीं। ट्री-प्लाण्टेशन के बाद हम लोग रेलवे स्टेशन के यात्री लॉंज में बैठे थे। गुप्ता जी मुझसे थोड़ी दूर बैठे थे। मैं सयास उठ कर उनके पास गया और उनसे उनके बारे में पूछा।
गुप्ताजी, रेलवे की सेवा में आने के पहले सेना में हवलदार भर्ती हुये थे। एक रेंक प्रोमोशन भी पाये थे। उनके बाद आर्मी छोड़ कर कुछ समय एम्प्लॉयमेण्ट एक्स्चेंज में नौकरी किये और उसके बाद रेलवे की अकाउण्ट शाखा में जूनियर क्लर्क बन गये।
“कौन से सन में रेलवे ज्वाइन की थी?” मेरे यह पूछने पर गुप्ता जी ने हंस कर अपना सिर झटका। सम्भवत: मेरे प्रश्न का उत्तर वे टालना चाहते थे। पर फिर बताया – सन 1946 में।
सन 1946 – मैं चौक गया। ये शारीरिक और मानसिक रूप से चैतन्य, पूर्वोत्तर रेलवे की यूनियन में अपना दबदबा अभी भी कायम रखने वाले ये सज्जन श्री कन्हैयालाल गुप्ता आज से लगभग 70 साल पहले रेल सेवा में आये थे।
किसी ने मुझे उनकी उम्र 98 वर्ष बतायी थी और मैने उसपर यकीन नहीं किया था। पर अब गुप्ता जी स्वयम उस कथन की पुष्टि करते दिख रहे थे। मेरे मन मेंं गुप्ताजी के प्रति आदर में अचानक और वृद्धि हो गयी। पैराडाइम शिफ्ट।
मैने गुप्ता जी से उनकी दिन चर्या पूछी। वे सवेरे चार बजे उठते हैं। थोड़ा व्यायाम कर सवेरे सैर करते हैं। दिन भर यूनियन का काम करते थें। यूनियन और रेल कर्मचारी ही उनका मिशन हैं। पत्नी नहीं रहीं और बाल-बच्चों की विचारधारा से पीढ़ी का अंतर होने के कारण बहुत सामंजस्य नहीं बनता। अत: वे हैं और रेल कर्मचारी हैं, जो परस्पर गुंथे हैं। रात दस बजे सोते हैं। “नींद गहरी आती है। तब चाहे कोई नगाड़ा बजाये, टूटती नहीं।”
सौ के आसपास की उम्र के गुप्ता जी। एक मिशन ले कर जीवन बिताते। अभी भी ऊर्जावान और सजग। आर्य और वैदिक साहित्य जिस “शतायु” की बात कहता होगा, वह गुप्ता जी साकार करते दिखे। … पूर्वोत्तर रेलवे ने एक प्रकार से सटीक ब्राण्ड अम्बेसडर चुना। पूर्वोत्तर रेलवे की तरह उम्रदराज, ऊर्जावान और अपने परिवेश पर सही प्रभाव डालने वाला।
अपने से चालीस-पचास साल कम उम्र के रेल कर्मचारियों को अपने किन गुणों से बांध कर रखते होंगे वे; कौन से उनके गुण अभी भी उन्हे यूनियन का शीर्षस्थ बनाये हुये हैं; यह जानने का मन है। आगे कभी उनके पास बैठा तो पूछूंगा। आपको भी बताऊंगा।

वाह! पढ पहले ही चुके थे गुप्ता जी के बारे में पोस्ट में। आज मन किया टिपिया भी दें। गुप्ता जी और खूब जियें। सक्रिय बनें रहें। जय हो ।
LikeLike
गुप्ताजी के बारे मेन जानकार अच्छा लगा। उनके बारे में और जानने की उत्सुकता है।
LikeLike
और कुछ पता चला तो बताऊंगा।
LikeLike
वाह..
LikeLike
आदरणीय पाण्डेय सर , एक बार उनके (श्री गुप्ता जी) इस लंबी यात्रा के बारे में कुछ जांकारियाँ एकत्रित की थी,आपको जान कर आश्चर्य होगा कि कर्मचारियों की लड़ाई लड़ते-लड़ते इन्होने अपनी क्वालिफ़ाईंग सर्विस भी गंवा दी। इतना ही नहीं इस यात्रा में लगभग दो दर्जन बार ऐसे पड़ाव आए जब लगने लगा की श्री गुप्ता जी अप्रासंगिक होने को है पर इनका एक निष्ठ भाव सदैव इनके साथ रहा और हर बार ये दुगनी ऊर्जा और शक्ति के साथ वापस लौटे। आज भी इनके मन में किसी के प्रति कोई दुर्भाव/मैल नहीं है। कभी समय मिला तो निश्चित इनके जीवन पर कुछ लिखना चाहूँगा।
LikeLike
* अपने आप
LikeLike
98 साल क उम्र ही आने आप में वरदान है, उस्पर यह कर्मठता। बोनस।
LikeLike