आप कहेंगे कि चाऊमीन पर इतना ज्यादा क्या कोई लिखने की बात है? पर आप पांच साल का गांव में रहने वाला बच्चा बनिये और तब सोच कर देखिये! … आपको यह सब पढ़ते समय अपने को शहरी-महानगरी कम्फर्ट जोन से बाहर निकाल कर देखना होगा।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आप कहेंगे कि चाऊमीन पर इतना ज्यादा क्या कोई लिखने की बात है? पर आप पांच साल का गांव में रहने वाला बच्चा बनिये और तब सोच कर देखिये! … आपको यह सब पढ़ते समय अपने को शहरी-महानगरी कम्फर्ट जोन से बाहर निकाल कर देखना होगा।