ढूंढ़ी का आज का चाय की चट्टी पर कथन मुझे और कमिट करवा गया – मरने दो उम्मीदवार को। भाजपा की संसदीय सेना में 25-50 असुर छाप सांसद भी आ जायें तो कोई बात नहीं। चुनाव तो प्रेसिडेंशियल ही है। मोदी पर रेफ़रेण्डम। वोट तो मोदी को ही जाना चाहिये।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
ढूंढ़ी का आज का चाय की चट्टी पर कथन मुझे और कमिट करवा गया – मरने दो उम्मीदवार को। भाजपा की संसदीय सेना में 25-50 असुर छाप सांसद भी आ जायें तो कोई बात नहीं। चुनाव तो प्रेसिडेंशियल ही है। मोदी पर रेफ़रेण्डम। वोट तो मोदी को ही जाना चाहिये।