नर्सरी से पौधे खरीदना आपके मायूस मन को भी प्रसन्न कर देता है। और जब वहां एक ऐसे व्यक्ति से आदान प्रदान (इण्टरेक्शन) हो, जिसे पौधों की जानकारी हो, और जो उनको अपने काम में गहराई से लगा हो, तो प्रसन्नता दुगनी-तिगुनी हो जाती है।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में रह कर ग्रामीण जीवन जानने का प्रयास कर रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर; पर ट्रेन के सैलून को छोड़ गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
नर्सरी से पौधे खरीदना आपके मायूस मन को भी प्रसन्न कर देता है। और जब वहां एक ऐसे व्यक्ति से आदान प्रदान (इण्टरेक्शन) हो, जिसे पौधों की जानकारी हो, और जो उनको अपने काम में गहराई से लगा हो, तो प्रसन्नता दुगनी-तिगुनी हो जाती है।