घोघावदर-गोण्डल से जेतलसर, और आगे


गोण्डल की गंदगी और इन तीर्थ पदयात्रियों की तंग करने की प्रवृत्ति ने सौराष्ट्र में जो सुखद अनुभवों का गुलदस्ता बन रहा था और जिसे ले कर प्रेमसागर खूब मगन थे, उसमें से कुछ पुष्प नोच लिये।

Design a site like this with WordPress.com
Get started