बोकारो आने पर कोयला अवैध खनन के बाद उसे साइकिल पर ले कर चलने वालों को देखना मेरे लिये सदैव कौतूहल का विषय रहा है। एक दशक से ज्यादा समय से उन्हें देखता रहा हूं।
कल भी रास्ते में कई कोयला ले कर चलने वाले दिखे। एक दो जगह उन्हें मोटर साइकिल से धक्का लगाते सहकर्मी भी नजर आये। साथ चल रहे तिवारी बाबा ने बताया कि मोटर साइकिल वाले उन्हें तेज चलने में सहायता करते हैं। कहीं फ़ंसने की नौबत आती है तो वे साइकिल वाले को छोड़ कर भाग लेते हैं। साइकिल वाले भी पकड़े जाने पर साइकिल और कोयला फ़ैंक कर सटकने में यकीन करते हैं।

मैने वाहन चालक इमरान को एक जगह कोयले लदी साइकिलों के पास वाहन रोकने को कहा। एक बस स्टाप पर कोयले की साइकिल खड़ी थी। उसके पास ही उसे धक्का देने वाली मोटर साइकिल भी थी। मुझे वाहन से उतर कर चित्र लेते देख मोटर साइकिल वाला अपनी मोटर साइकिल चालू कर निकल लिया।
मैं दो अन्य रुकी हुई साइकिलों के चित्र भी ले पाया।

एक एक साइकिल पर लदा इतना कोयला और उस जैसी सैकड़ों साइकिलें चलती हुईं। कितना अवैध (फ़ुटकर) कोयला खनन होता होगा? और इस अवैध अर्थव्यवस्था में जाने कितने लोगों को ठीकठाक रोजगार मिलता होगा? उनके रोजगार को कहीं आंकड़ों में दर्ज किया जाता है या वे बेरोजगार की श्रेणी में आते हैं?